आईसीएसएसआर के उपनिदेशक ने कहा
शिक्षक शिक्षा में नवाचारों पर सेमिनार शुरू
Udaipur. आईसीएसएसआर के उपनिदेशक डॉ. हरीश शर्मा ने कहा कि व्यावसायिकता के इस दौर में आज हर जगह एमबीए, आईआईटी, आईआईएम आदि खुल रहे हैं लेकिन शिक्षक शिक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। अफसोस यह कि देश का भविष्य तैयार करने वाले शिक्षक की शिक्षा के लिए कोई साधन नहीं है।
वे शुक्रवार को कृष्णा महिला टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज एवं सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में रामपुरा चौराहा स्थित होटल देवी पैलेस में आयोजित शिक्षक शिक्षा में नवाचार विषयक राष्ट्रीय सेमिनार को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यहां का उदाहरण ही लें कि यूनिवर्सिटी में टीचर्स एज्यूकेशन से सम्बन्धित विभाग ही नहीं है। हजारों मीलों की यात्रा हमेशा एक कदम से ही शुरु होती है। शिक्षकों की शिक्षा देश का भविष्य तैयार करने में सचमुच अहम भूमिका निभा सकती है। आजादी के बाद करीब 65 सालों में शिक्षा के क्षेत्र में कई उतार चढ़ाव आए हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार महिला साक्षरता दर मात्र 60.46 प्रतिशत है। आजादी के बाद हमारा देश शिक्षा के कई क्रांतिकारी गतिविधियों से गुजरा है। इनमें कोठारी समिति भी प्रमुख रही है। बच्चों को शिक्षा का अधिकार देना एक महत्व पूर्ण कदम है। इसमें न सिर्फ 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा आवश्यक रूप से प्रदान करनी है बल्कि 25 प्रतिशत सीटें कमजोर बच्चों के लिए भी आरक्षित हैं। सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील, साक्षर भारत एवं जन शिक्षण संस्थांन आदि शुरू किए गए हैं।
विशिष्ट अतिथि सुविवि के कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी ने कहा कि उदयपुर में आईसीएसएसआर के सहयोग से पहली बार यह कार्यशाला हो रही है। इसके लिए कृष्णा महिला टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज प्रबंधन बधाई के पात्र हैं। जिस तरह सेमिनार की यह श्रृंखला शुरू हुई है। विश्वास है कि यह श्रृंखला अब अनवरत चलेगी और आईसीएसएसआर का इसी तरह सहयोग मिलेगा। वक्ता के रूप में डॉ. विनोद अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता शिक्षा संकाय के चेयरमैन डॉ. कैलाश सोडाणी ने की।
कॉलेज के प्राचार्य अश्विनी कुमार गौड़ ने बताया कि आज उदघाटन सत्र के बाद दो तकनीकी सत्र हुए। इनमें शिक्षक शिक्षा में नवाचारों के तकनीकी और वैज्ञानिक पहलू तथा राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक पहलुओं पर चर्चा की गई। कॉलेज के एमडी हितेश गौड़ ने बताया कि सेमिनार आयोजन का उद्देश्य समाज के हर क्षेत्र में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अध्या्पक को और आगे बढ़ाना है। अध्यापक सिर्फ ज्ञान का संवाहक नहीं है बल्कि संस्कृति और नीतियों को खुद उपयोग में लाकर सिखाता है। अगर आज सामाजिक बदलाव का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा है तो शिक्षक उस बदलाव को लाने वाला माध्यमम, एक सामाजिक इंजीनियर या भविष्य के समाज का आर्किटेक्ट है। समाज में आज सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दे जैसे वैश्वीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी़ आदि की जरूरत है। ये सेमिनार इन्हीं सब के जवाब ढूंढने में एक मील का पत्थर साबित होगा, ऐसा हमें विश्वास है।