सार्क देशों के कुलपतियों का दो दिवसीय सम्मेलन शुरु
Udaipur. राज्यपाल मारग्रेट अल्वा ने कहा कि अगर बालिकाओं को भी अच्छा माहौल मिले तो वे लड़कों के मुकाबले किसी भी रूप में उन्नीस नहीं हैं। उन्होंने अफगानिस्तान की मलाला युसुफजई का उदाहरण देते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब हम महिलाओं की शिक्षा के प्रति संवेदनशीन बने, उनके लिए उच्च शिक्षा के द्वार खोलें तथा उन्हें पूरा सम्मान दें। आज कोई पद ऐसा नहीं जहां महिला नहीं हो। चाहे वह राज्यपाल हो, मुख्यमंत्री हो या प्रधानमंत्री।
वे बुधवार को दरबार हॉल में दक्षिण एशियाई देशों के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की कार्यशाला को मुख्या अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं। दक्षिण एशियाई देशों के विश्वविद्यालयों में शिक्षा के क्षेत्र में नये मार्ग तलाशने की चुनौतियों एवं संभावनाओं पर कार्यशाला सुविवि की मेजबानी में हो रही है। उन्होंशने कहा कि सम्मेभलन के पीछे सबसे बडा़ उद्देश्य इन देशों के विश्वविद्यालयों के बीच प्रयासों को साझा कर कई क्षेत्रों में दूरियों को कम करना है। उन्होंने कहा कि इससे विश्वविद्यालयों में बढ़ रहे दबाव पर नियंत्रण पाने में सहायता भी मिलेगी।
उन्होंने इंटरनेट के माध्यंम से कहीं भी बैठा शिक्षक पढा़ सकता है। उन्होंने वेबसाइट, वेब रेडियो, वेब टीवी को उच्चम शिक्षा में शामिल करने का सुझाव दिया। राज्यउपाल ने कहा कि तकनीकी क्रान्ति ने पूरे विश्व को एक गांव में बदल कर सारी दूरियां कम कर दी है। उन्होंने उच्च शिक्षा के जरिए नेतृत्व विकास की बात कही साथ ही लैंगिक विभेद मिटा कर बालिकाओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना समाज का दायित्व है।
राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा से आज का युवा न केवल ज्ञान और कौशल को बढा़ सकता है बल्कि इससे मानवीय चेतना के विकास में भी सहायता मिल सकती है। राज्यपाल ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्घ के बाद प्रबल प्रतिद्वंद्वी फ्रांस एवं जर्मनी ने परस्पर सहयोग के लिए उल्लेखनीय कार्य किये उसी तर्ज पर दक्षेस देशों के बीच भी प्रतिद्वंद्विता से परे हटकर सहयोगात्मक रवैया अपनाने की जरूरत है, तभी सभी देशों का समग्र विकास संभव हो सकेगा। उन्होंने यूरोप का उदाहरण देते हुए कहा कि कई युद्घ झेलने के बाद भी सशक्त आर्थिक सत्ता के रूप में उभरा है। दक्षेस देशों को भी इसी दिशा में अग्रणी प्रयास करने होंगे। उन्होंने महात्मा गांधी की अहिंसावादी विचारधारा को वर्तमान परिपेक्ष्य में उपयुक्त बताते हुए वसुधैव कुटुम्बकम की प्राचीन परम्परा को विश्व शांति के अपनाने की जरूरत बताई। अध्युक्षीय उदबोधन में मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन के अध्यक्ष अरविन्द सिंह मेवाड़ ने शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए पर्याप्त शोध व संसाधनों की महती आवश्यकता बताई।
अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.मोहम्मद हादी हिदायती ने अफगनिस्तान के संदर्भ में शैक्षधिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। समारोह के सह आयोजक हिंदुस्ताेन जिंक लिमिटेड के उपाध्येक्ष (एचआर) एच. के. मेहता ने कहा कि किसी भी देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए उस देश का शिक्षा तंत्र मजबूत होना अति आवश्यक है। सुविवि कुलपति आई. वी. त्रिवेदी ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि दो दिवसीय सेमीनार में दक्षेस देशों में गुणात्मक एवं सर्वसुलभ उच्च शिक्षा को लेकर गहन विचार विमर्श करना होगा। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए पहुंच, गुणवत्ता, संसाधन, संरचना सहित महत्वपूर्ण पहलुओं को अपनाने की महती जरूरत है।
इस अवसर पर इस कांफ्रेन्स के समन्वयक प्रो पीआर व्यास तथा सचिव प्रो प्रदीप त्रिखा ने काफ्रेन्स स्मारिका पेश की जिसका राज्यपाल ने विमोचन किया। इसके साथ ही इस अवसर प्रो शरद श्रीवास्तव की पुस्तक पोस्टर कोलानियल तथा डा नवीन नन्दवाना के सम्पादन में शुरु हुई शोध पत्रिका समवेत का भी लोकार्पण किया गया। संचालन डा कनिका शर्मा ने किया।
आला अधिकारियों ने की अगवानी
इससे पूर्व सुबह राज्यपाल के रेल से उदयपुर आगमन पर संभागीय आयुक्त डॉ. सुबोध अग्रवाल, सुविवि कुलपति आई. वी. त्रिवेदी, एमपीयूएटी कुलपति ओ. पी. गिल, राजीव गांधी जनजाति विश्वविद्यालय के कुलपति टी. सी. डामोर, आईजी अमृत कलश, जिला कलक्टर आशुतोष ए. टी. पेंडणेकर, पुलिस अधीक्षक महेश कुमार गोयल, प्रोटोकॉल अधिकारी अनिल शर्मा आदि ने राज्यपाल को पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। उनके साथ उनके पति निरंजन अल्वा एवं उनके परिजन भी पहुंचे।