जोशी ने झाला को दिखाई ताकत
Udaipur. अब ऊंट किस करवट बैठेगा..। वल्लभनगर में रणधीरसिंह भींडर विजयी होंगे या कटारिया उदयपुर शहर में पराजय का सामना करेंगे…। हर ओर यही चर्चा है। क्या कांग्रेस का युवा प्रत्याशी कटारिया को टक्कर दे पाएगा। कटारिया के बारे में फिलहाल जय-पराजय की गणित तो काम ही नहीं कर रही..। बातें सिर्फ इतनी ही हैं कि कटारिया को अपने क्षेत्र में रोक पाने में कांग्रेस का युवा प्रत्याशी क्या सफल हो जाएगा..।
उधर रणधीरसिंह भींडर के समर्थन में करीब 5000 कार्यकर्ताओं ने इस्तीफे देकर रणधीर सेना का गठन कर लिया और निर्दलीय के रूप में रणधीरसिंह भींडर को नामांकन भरवाया। आश्चर्य की बात यह कि कटारिया के नामांकन में शामिल नहीं होने वाले कमल मित्र मंडल के सदस्य महेन्द्र सिंह शेखावत, ताराचंद जैन आदि वल्लभनगर भींडर के समर्थन में नामांकन के दौरान पहुंचे। धर्मनारायण जोशी के अलग नहीं होने वाले सहयोगी विजय प्रकाश विप्लवी आदि भी जुलूस में थे। अब भींडर पर निर्भर करता है कि वे मेनारिया के परपंरागत वोट बैंक में कितनी सेंध लगा पाते हैं। वे कांग्रेस प्रत्याशी गजेन्द्रसिंह शक्तावत रावत-राजपूत के वोट तो काटेंगे लेकिन परंपरागत ब्राह्मण वोटों को कितना अपने पक्ष में कर पाते हैं.. सारी गणित उस पर निर्भर करती है।
भींडर के नामांकन जुलूस में उमड़ी भीड़ से न सिर्फ कांग्रेस बल्कि भाजपा भी चिंतित है। उनके साथ सहानुभूति की लहर भी दौड़ गई है वहीं यह सहानुभूति लहर कटारिया विरोधी भी है। कटारिया ने समर्थकों की फौज तो धीरे धीरे खड़ी की लेकिन उससे कहीं ज्यादा विरोधियों की फौज स्वत: खड़ी हो गई। इसका कारण सिर्फ एक कटारिया स्वयं की आदत कि आज का काम करो, कल की कल देखेंगे को बताया जा रहा है। जानकारों के अनुसार गत दिनों कटारिया ने फोन कर-करके बागियों और विरोध कर रहे लोगों को समझाने का प्रयास किया लेकिन उसी अपने गुस्सैल भरे स्वभाव में। इसी कारण कोई साथ ही नहीं आ पाया। उदयपुर शहर में ब्राह्मण को टिकट देकर कांग्रेस ने तो ठंडा कर दिया लेकिन वल्लभनगर में भींडर के समर्थक ब्राह्मणों को ठण्डा करना मुश्किल सा दिख रहा है।
इधर एआईसीसी महासचिव डॉ. सी. पी. जोशी के खिलाफ भी दावेदारों व उनके समर्थकों का आक्रोश खुलकर सामने आ गया। चेटक सर्किल पर उनका पुतला फूंककर मुंडन तक करा लिया। देहात जिलाध्यक्ष लालसिंह झाला टिकट कट जाने से हतप्रभ हैं। मंगलवार को नामांकन के दौरान न तो वे और न ही उनका कोई समर्थक यहां दिखा। एयरपोर्ट पर सोमवार शाम पहुंचे डॉ. जोशी का स्वागत करने मुंहलगे सूचनाएं देने वाले बमुश्किल 50 कार्यकर्ता थे। जानकारों का कहना है कि भीड़ तो सिर्फ झाला के साथ ही आती है। झाला और जोशी के रिश्ते जगजाहिर थे लेकिन कुछ समय पूर्व ही झाला ने सांसद के साथ मुख्यमंत्री का दामन थामा और अब चुनाव में जोशी ने उनका टिकट काटकर नतीजा दिखा दिया।