जातिगत समीकरणों व युवा सक्रियता पर चर्चा
सुविवि में चुनावी राजनीति पर सभी सीटों का विश्लेषण
Udaipur. मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में रविवार को यहां कला महाविद्यालय सभागार में चुनावी राजनीति पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में वक्ताओं ने प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों का राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं का विश्लेषण किया। इस चुनाव में जातिगत समीकरणों तथा युवाओं की सक्रियता की भी चर्चा की गई।
प्रो. अरुण चतुर्वेदी ने नए मतदाताओं को जागरूक बनाने की बात कही वहीं महिला मतदाताओं में आ रही कमी पर चिन्ता व्यक्त की। उन्हों ने कहा कि शासित वर्ग युवा है लेकिन शासक बुजुर्ग है इसलिए विकास की गति धीमी है और कमजोर है। प्रो. सुरेन्द्र कटारिया ने बीकानेर संभाग की सीटों की समीक्षा करते हुए पाटा राजनीति के विविध पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। शंकरलाल चौधरी ने शेखावटी की सीटों की चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह सामंती प्रभाव इन सीटों पर लगातार दिखाई पड़ता है। विकास चौधरी ने ढूंढाड़ की सभी सीटों का विस्तार से विश्लेषण किया तथा वहां की सामाजिक पृष्ठभूमि का मतदाताओं पर पड़ रहे प्रभाव को भी रेखांकित किया। इसमें उन्होंने सवाई माधोपुर में गुर्जर समाज की गोलबन्दी और राजधानी जयपुर में भाजपा का वर्चस्व बताया। मत्य्पुर प्रदेश की सीटों का लेखा जोखा पेश करते हुए प्रो. नरेश भार्गव ने धौलपुर में गुर्जरों के जातिगत समीकरण को विस्तार से समझाया। प्रो. प्रदीप त्रिखा ने अजमेर संभाग के विधानसभा क्षेत्रों की बात करते हुए वहां किसी भी प्रकार के जातिगत प्रभाव की बात से इनकार किया। प्रो. फारूख बख्शी ने हाड़ौती की सीटों को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यक में बारीकी से विश्लेषण किया।
राजसमन्द जिले की सीटों का लेखा जोखा पेश करते हुए गिरिराज सिंह चौहान ने कांग्रेस और भाजपा में सीधे मुकाबले की बात कही वहीं उदयपुर जिले की सीटों की चर्चा करते हुए वेददान सुधीर ने ब्राह्मण तथा जैन वोटों की भूमिका की चर्चा की। उन्होंने उदयपुर सीट पर मोहनलाल सुखाडिया के काल के चुनावों की रणनीति बताई और उस दौर के स्वयं के अनुभव साझा किए। साथ ही वर्तमान में टिकट वितरण की बात करते हुए कहा कि किस तरह कांग्रेस ने एक युवा ब्राह्मण नेता को पहली बार मौका देकर ब्राह्मणों की अनदेखी और नाराजगी का फायदा उठाने का पूरा प्रयास किया। वागड़ क्षेत्र की सभी नौ सीटों का सिलसिलेवार विश्लेषण डॉ. कुंजन आचार्य ने पेश किया। उन्होंने बताया कि किस तरह आज भी आदिवासी समाज में मामा बालेश्वर दयाल का प्रभाव बना हुआ है वहीं राजपा द्वारा जनता दल को समर्थन दिए जाने से बन रहे समीकरणों की भी चर्चा की। प्रो. सी. आर. सुथार ने बाडमेर और जैसलमेर जिले की तथा डा जी एस कुम्पावत ने गोड़वाड़ क्षेत्र की सीटों पर सामन्ती प्रभाव, जातिवाद, धनबल तथा बाहुबल का वर्चस्व रेखांकित किया। डॉ. मनोज राजगुरु ने सभी दो सौ सीटों पर जातिगत समीकरणों को लेखाजोखा पेश किया वहीं डॉ. ललित कुमावत ने पार्टियों के घोषणा पत्रों की समीक्षा की। कार्यक्रम का संचालन प्रो संजय लोढ़ा ने किया। उन्होंने बताया कि इस पूरी चर्चा को पुस्तकाकार में प्रकाशित किया जाएगा।