उदयपुर। नवनिर्वाचित विधायक गुलाबचंद कटारिया को मंत्रिमंडल में लेने की संभावनाओं पर प्रश्न। चिह्न लगाते हुए मीडिया के पास एक ई मेल भेजा गया है।
भुवाणा से बंशीलाल टांक के नाम से भेजे गए इस ई मेल में कहा गया कि एक ही पार्टी में दो नियम कैसे हो सकते हैं। गुजरात में अमित शाह निर्वाचित हो चुके हैं, इसके बावजूद आरोपी होने के कारण मोदी ने उन्हें मंत्रिमंडल में लेने के बजाय संगठन से जोड़ रखा है। फिर कटारिया सोहराबुद्दीन मामले में आरोपी होने के बाद कैसे मंत्रिमंडल में आ सकते हैं।
इस मेल में कहा गया कि कटारिया के विरुद्ध मुम्बई की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (तृतीय) की कोर्ट में 14 मई 2013 को सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ प्रकरण में संज्ञान लिया गया है। इस कोर्ट मे लम्बित केस नं. 3 (एस) 2010 में धारा 120बी-365, 368, 302 व 201 आईपीसी के कटारिया स्वयं आरोपी है। ये फिलहाल जमानत पर हैं। इन्होंने इस संज्ञान के विरूद्ध सीआरपीसी की धारा 227 के तहत सीबीआई विशेष न्यायालय ग्रेटर मुम्बई में अपील कर रखी है। अभी कटारिया दोषी हैं और इनकी स्थिति जमानत पर रिहा आरोपी की है।
ई मेल में कहा गया कि इसी मुकदमे की इन्हीं धाराओं में गुजरात के पूर्व गृहमंत्री अमित भाई शाह भी आरोपी हैं। वे भी जमानत पर है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजधर्म का पालन करते हुए सरखेज से निर्वाचित अमित शाह को मंत्री नहीं बनाया बल्कि संगठन में जोड़ दिया। एक पार्टी में कटारिया व शाह के लिये अलग-अलग मापदण्ड नहीं हो सकते। इस बारे में भाजपा के मीडिया प्रभारी चंचल कुमार अग्रवाल से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।