किरण के लिए अंगूर खट्टे!
उदयपुर। राज्य की नवनिर्वाचित मुख्यंमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने मंत्रिमंडल का गठन कर लिया है। राजनीतिक पंडित नए मंत्रिमंडल को नई बोतल में पुरानी शराब की संज्ञा भी दे रहे हैं। कारण कि या तो वर्ष 2003 में वसुंधरा या 1998 में भैरोंसिंह शेखावत के कार्यकाल में जिनके पास जो विभाग था, वही वापस उन्हें ही मिला है।
दूसरी विशेष बात मंत्रिमंडल में यह रही कि मेवाड़ के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया को उनके कद के अनुरूप मंत्रालय नहीं मिला। हालांकि इससे वसुंधरा राजे ने एक तीर से दो शिकार कर लिए। कटारिया के समर्थक उन्हें गृह मंत्रालय मिलने की असीम संभावनाएं तलाशते हुए बाट जोह रहे थे लेकिन सुबह उन्हें ग्रामीण एवं विकास विभाग दिए जाने की जानकारी मिलते ही समर्थकों के चेहरे लटक गए। हालांकि कटारिया ने उदयपुर आगमन पर कह दिया कि विभाग उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। वे इसमें भी काम करके दिखा देंगे।
महत्वपूर्ण विभाग गृह, वित्त, नगरीय विकास आदि मुख्यसमंत्री ने अभी तक अपने ही पास रखे हैं। प्रभुलाल सैनी को कृषि मंत्रालय दिया गया है वहीं राजेन्द्र राठौड़ को वही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय दिया गया है। कटारिया के धुर विरोधी नंदलाल मीणा को जनजाति विकास मंत्रालय दिया गया है तो गजेन्द्र सिंह खींवसर को वही ऊर्जा मंत्रालय दिया गया है।
राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी को भी मंत्रिमंडल में लेने की अफवाहें थीं लेकिन अभी शामिल नहीं किया गया। किरण ने मीडिया से कथित बातचीत में बताया कि लोकसभा चुनाव तक उनका मंत्रिमंडल में लेने का मामला टाल दिया गया है। उसके बाद ही कुछ होगा। आलोचक तो यह भी कह रहे हैं कि यहां भी कटारिया की चली और उन्होंने चाहा कि किरण मंत्रिमंडल में नहीं आए और वे अपनी इस जिद में सफल भी रहे। आलोचकों का मानना है कि किरण का यह बयान यही प्रदर्शित करता है कि अंगूर खट्टे हैं। साथ ही इनका यह भी मानना है कि कई महत्वपूर्ण विभाग वसुंधरा ने अपने पास रखे हैं और किरण सुराज संकल्प यात्रा में बराबर वसुंधरा के साथ रहीं जिसका प्रतिफल इन विभागों में से कोई भी देकर किरण को मिल सकता है।