शिल्पग्राम उत्सव-2013 में कलात्मक वस्तुओं की बिक्री
उदयपुर। कला एवं शिल्प परंपरा के प्रोत्साहन हेतु उदयपुर के शिल्पग्राम में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव में सोमवार को हाट बाजार में कलात्मक वस्तुओं की खरीद-फरोख्त का सिलसिला शुरू हुआ वहीं लोग शिल्प उत्पादों को ले कर पूछ-परछ व दामों की जानकारी लेकर खरीदारी कर रहे हैं।
दस दिवसीय उत्सव के तीसरे दिन हालांकि रविवार के मुकाबले लोगों की आवक कम रही मगर शाम को हाट बाजार में खरीदारों के झुण्ड शिल्प थड़ों के इर्द-गिर्द देखे गये। ज्यादा बिकने वाले उत्पादों में दर्पण बाजार में बैठे मृदा शिल्पियों से मिट्टी के तवे, मैल उतारने का झामा, फ्लॉवर पॉट्स, डेकोरेटिव टेराकोटा पॉट, झालर, वेलन कारपेट, सूती वस्त्रों इत्यादि की बिकवाली हुई। वस्त्र संसार में शाम को विभिन्न स्थानों पर खरीददार नजर आये जिन्होंने कश्मीरी शॉल, टोपी, दस्ताने, वूलन स्वेटर, जैकेट इत्यादि के मोलभाव करने के साथ खरीददारी की। शिल्पग्राम की ढोल झोंपड़ी के पीछे अलंकरण में विभिन्न प्रकार के आभूषणों पर महिलाएं नैकलेस, इयरिंग्स, चूड़ियाँ इत्यादि पसंद करते व खरीदते देखी गई। हाट बाजार में दोपहर में लोगों ने विभिन्न कला प्रस्तुतियों को निहारा इनमें जालोर की गैर, बहुरूपिया कलाकारों, कच्छी घोड़ी, मशक बैण्ड आदि उल्लेखनीय हैं। मेले में घूमते हुए लोगों ने व्यंजनों में मक्की की रोटी, बाजरे की रोटी, ढोकला, मक्का की राब, मक्की की पापड़ी, आइसक्रीम पॉपकोर्न, दूध जलेबी आदि के साथ विभिन्न खान-पान का आनन्द उठाया।
नज़रों में चढ़ी आंध्र की लैदर पेन्टिंग्स
यहां हवाला गांव में चल रहे दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में आंध्र प्रदेश की लैदर पेन्टिंग्स लोगों की नजरों का केन्द्र बन रही है। आंध्र के अनन्तपुर जिले के वनराच हनुमन्त राव की दुकान शाम ढलने के साथ कलात्मक लैदर लैम्प शेड से झांकती रंगीन रोशनी से जगमगा उठता है। हनुमन्त राव की उम्र साठ की है मगर उनकी कला में अनुभव और बारीकी स्पष्ट नजर आती है। लैदर के लैम्प शेड व पपेट बनाने वाले हनुमन्त राव ने बताया कि वे पिछले वर्ष भी यहां आये तथा अच्छा रेसपोन्स मिला। टूटी फूटी हिन्दी में हनुमन्त राव आगंतुकों को अपनी कला के बारे में बताते है। बकरे के चमड़े को चिकना बना कर उस पर पेस्टल करल से इन चित्रों का सृजन करते हैं फिर उनसे लैम्प शेड बनाते हैं। इनकी बनाई चर्म पुतलियों में पौराणिक ग्रंथों के पात्र उत्कृष्ट ढंग से सृजित किये गये हैं। इनके शिल्प उत्पादों की कीमत 500 से 5000 रूपये तक है।
निशुल्क फोटोग्राफी वर्कशॉप व फोटोग्राफी प्रतियोगिता
फोटो जर्नलिस्ट फ्रैण्ड्स क्लब की ओर से फोटोग्राफी वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। शिल्पग्राम की सम झोपड़ी सामने बने स्टॉल पर दोपहर 2 से 3 बजे के मध्य वर्कशॉप का आयोजन किया जायेगा तथा शिल्पग्राम में लोक कलाकार विषय पर प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा।
दिन लद गये, पर बनाना जारी है
आज के कॉस्मैटिक रूप श्रृंगार के जमाने में तथा चमड़ी को क्रीम से सहेजने के युग में मैल उतारने के झामें का क्या काम। मगर अंचल के मृदा शिल्पी आज भी मैल उतारने के मिटटी के झामे बना रहे हैं। शिल्पग्राम के हाट बाजार में मिट्टी के शिल्पकारों के पास इन्हें देखा जा सकता है। एक जमाना था जब लोग मैल उतारने के लिये झामें का इस्तेमाल करते थे। मृदा शिल्पियों का मानना है कि इनकी जरूरत गांवों में आज भी होती है जबकि शहर में इसका प्रचलन कम हो गया है।
‘‘कलांगन’’ पर ब्रोजाई व घसियारी ने जमाया रंग
शिल्पग्राम उत्सव-2013 के तीसरे दिन शाम को मुक्ताकाशी रंगमंच पर लोक प्रस्तुतियों ने अरूणाचल प्रदेश का ब्रा-जाई व उत्तराखण्ड का घसियारी नृत्य लुभावनी प्रस्तुति रही वहीं ‘‘ताल-तरंग’’ गोवा के वाद्य यंत्रों की टंकार अरावली पर्वतमालिका में गूंजी। रंगमंच पर कार्यक्रम की शुरूआत गोवा के कला एवं संस्कृति संचालनालय द्वारा प्रेषित ‘‘ताल तरंग से हुई। इस प्रस्तुति में गोवा का लोक वाद्य घुम्मट, समेळ, ताशा, तबला, पखावज, कसालें, वायलिन तबला तरंग आदि वाद्यों के साथ वेस्टन ड्रम का प्रयोग कलात्मक ढंग से किया गया। इस अवसर पर अरूणाचल प्रदेश का ब्रो-जाई नृत्य पूर्वांचल की माटी की मीक लेकर आया। पर्वतों पर छाई हरियाली से उन्मादित हो मिसी जाति की महिलाएं यह नृत्य करती हैं। नृत्य में मिसी जनजाति की बालाओं की भाव भंगिमाएं व अंग विन्यास दर्शकों को रास आया। कार्यक्रम में कर्नाटक का करघा कोलट्टा जहां आकर्षक व जोशपूर्ण पेशकश रही वहीं उत्तराखण्ड का घसियारी नृत्य वहां कृषि समुदाय के लोगों की संस्कृति को दर्शाने वाली प्रस्तुति रही।
तीसरे दिन की शाम कार्यक्रम में कल्पतरू गुहा द्वारा प्रस्तुत माइम को दर्शकों ने रूचि से देखा। गुहा ने क्रिकेट के दृश्यों तथ एक्शन्स को अपनी भाव भंगिमाओं से दर्शाया। छत्तीसगढ़ की मुरिया जनजाति के गौंड माडिया नृत्य की मंथर थिरकन से दर्शकों ने पसं की। इस अवसर पर ही गोवा को गौफ नृत्य में रंगन पट्टिकाओं का लयकारी के साथ गुंथन नवाकर्षण रहा। कार्यक्रम में इसके अलावा ऑडीशा सरकार के सौजन्य से प्राप्त गोटीपुवा नर्तकों ने बंधा प्रस्तुत किया। अन्य प्रस्तुतियों में पुरूलिया छाऊ, डांग, भपंग वादन, लाम्बरा उल्लेखनीय हैं।