उदयपुर। आधुनिकता के इस भौतिक युग में भी अमूमन हर घर में यही स्थिति है कि हर बच्ची को हर पल याद दिलाया जाता है कि वो एक लड़की है। लड़की को सिर्फ इसलिए घर पर रोकना कि वह एक लड़की है, अपने भाई की तरह खुलेआम बाजार नहीं जा सकती।
कुछ ऐसे ही सुलगते सवालों के साथ जब 12 अलग अलग किरदारों को नाट्य मंच पर रेखा सिसोदिया ने जीवंत किया तो दर्शकों की आंखें नम हो आईं वहीं सभागार तालियों से गूंज उठा। मंगलवार शाम महाराणा कुंभा संगीत परिषद के सभागार में नाट्यांश एवं कबीर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में नाट्य संध्या ‘अल्फाज’ का आयोजन किया गया। इसमें ‘अस्तित्व ’ नाटक में महिला सशक्तीकरण पर एकल प्रस्तुति दी रेखा ने।
रेखा ने बताया कि यह नाटक महिलाओं के ऐसे संघर्ष पर आधारित है जो उनके जन्म से पहले से ही शुरू हो जाता है। लड़कीया अपनी मां की कोख से ही अपने अस्तित्व, अपने वजूद को बचाने की लड़ाई, लड़ना सीख जाती है। यह नाटक देश में व्याप्त कन्याभ्रूण हत्या, लिंग भेद कार्यालय और रास्तों में होने वाला दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा और दहेज प्रथा जैसी कई कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाता है।
संयोजक अशफाक नूर खान ने बताया कि नाट्य प्रस्तुति के मंच पार्श्व में संगीत सुधीर सिंह व अब्दुल मोबिन खान पठान का रहा तो लाइट डिजाइन शहजाद अली की रही। मंच व्यवस्था एवं डिजाईन का जिम्मा मो. रिजवान मंसूरी, महेन्द्र डांगी, शुभम शर्मा, नेहा पुरोहित, कुलश्रेष्ठ सिंह सिसोदिया ने निभाया वहीं वेशभूषा की जिम्मेदारी दीपान्जली चौधरी एवं खुशबू खत्री ने उठाई। रूप सज्जा खुशनुमा मंसूरी ने की एवं मंच सहायक के रूप में विशाल राज वैष्णव, इन्द्रजीत सिंह दुआ, श्लोक पिम्पलकर, देवेन्द्र सिंह राणावत, आयुष माहेश्वरी और अक्षय विश्नोई का योगदान रहा। नाटक का लेखन, परिकल्पना एवं निर्देशन नवोदित कलाकार अमित श्रीमाली ने किया। बतौर निर्देशक अमित का यह पहला नाटक रहा।