संभाग भर की जिलेवार बैठकें, सीपी जोशी के शहर में होने के बावजूद नहीं आने की चर्चाएं
देहात में एक दूसरे पर साधे निशाने तो शहर में भी इशारों में बताई हकीकत
उदयपुर। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यहां ली गई जिलेवार बैठकें इक्का-दुक्का बातों को छोड़कर शांतिपूर्ण रहीं। पायलट ने पहले ली गई सामूहिक बैठक में कहा था कि किसी तरह की अनुशासनहीनता बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
अमूमन हर बैठक में शहर जिलाध्यक्ष का विरोध करने वाले शहर के दोनों ब्लॉक अध्यक्ष उदयपुर शहर की बैठक के दौरान आज चुपचाप बैठे रहे। रात्रि विश्राम सिरोही में कर सुबह वहां से रवाना होकर पायलट दोपहर करीब सवा बारह बजे सर्किट हाउस पहुंचे पायलट का साइफन चौराहे पर शहर जिला की ओर से भव्य स्वागत किया गया। फिर दोपहर बाद सर्किट हाउस में बैठकों का दौर शुरू हुआ जिसमें सबसे पहले चित्तौड़गढ़, राजसमंद, डूंगरपुर और बांसवाड़ा के पदाधिकारियों से बातचीत की गई।
बैठक में एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव इरशाद बेग मिर्जा ने विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार को स्वीकारते हुए लोकसभा चुनाव में कैसे विजय प्राप्त की जाए। साथ ही संगठन को मजबूत करने के तरीके एवं सुझाव मांगे। बैठक में लोकसभा चुनाव के दावेदार प्रत्याशियों के जिंदाबाद के नारे लगाने पर उन्होंने स्पष्ट किया कि देश में टिकट सिर्फ दो ही लोग सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी फाइनल करेंगे। साथ ही यहां दावेदारी नहीं करनी है। सुझाव मांगे गए हैं तो सिर्फ सुझाव ही दें।
उदयपुर देहात : एक-दूसरे पर साधे निशाने
बांसवाड़ा के बाद देहात जिला के पदाधिकारियों की बैठक हुई जिसमें उदयपुर ग्रामीण की पूर्व विधायक सज्जन कटारा ने सांसद एवं जिलाध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि सांसद ने अपने संसदीय क्षेत्र के आठों विधानसभा क्षेत्रों का कभी दौरा नहीं किया वहीं जिलाध्यक्ष मनमर्जी करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें तो अब भी विश्वास नहीं होता कि हम हार कैसे गए? उन्होंने पूर्व मंत्री दयाराम परमार के बारे में भी कहा कि वे भी कभी उनके क्षेत्र में नहीं आए।
इंटक नेता जगदीशराज श्रीमाली ने कहा कि जो भी विधानसभा चुनाव में पराजित हुए, वे यह सोचें कि विधायक बनने के बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं की कितनी पूछ-परख रखी। कांग्रेस के कार्यालय में कितनी बार आए। अगर कार्यकर्ताओं से उम्मीद रखते हैं तो उनकी पूछ परख भी होनी चाहिए। कांग्रेस को चुनाव जिताएगा तो कार्यकर्ता ही। उन्होंने कटारा पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे प्रत्याशी कितनी बार कांग्रेस कार्यालय में आए। जो अपने घर से कांग्रेस चलाना चाहते हैं, उनका हश्र तो ऐसा ही होगा। कार्यकारिणी तय कर दे, विधानसभा क्षेत्र से पराजित प्रत्याशी को प्रभारी बना दे और प्रत्येक पंचायत में दो दो बूथ कार्यकर्ता नियुक्त कर दे। फिर देखें कि कैसे चुनाव नहीं जीतते हैं?
देहात जिलाध्यक्ष लालसिंह झाला ने कहा कि अध्यक्ष तो बना दिया लेकिन उसके पास कोई अधिकार तक नहीं हैं। अगर कोई पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त है तो उस पर कार्रवाई का अध्यक्ष को कोई अधिकार तक नहीं है। हमें अधिकार न दें लेकिन अगर हम किसी की अनुशंसा भेजते हैं तो उस पर तो कार्रवाई हो। जिला परिषद के मुख्ये कार्यकारी अधिकारी की मनमानी यह कि उनके कारण जिला परिषद बंद रही, यहां तक कि कार्यकारिणी को धरना तक देना पड़ा लेकिन अफसोस कि फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हमें अधिकार दीजिए, फिर हमसे अपेक्षा कीजिए। एक लाख लोगों तक का सम्मेलन करके दिखा देंगे।
सलूम्बर के परमानंद मेहता ने कहा कि चूंकि जनजाति क्षेत्र है इसलिए लोकसभा चुनाव से पूर्व यहां एक जनजाति सम्मेलन और एक युवा सम्मेलन होना नितांत आवश्यक है। जो आदिवासी भाई इधर उधर हो रहे हैं, उन्हें एक करना हमारा जिम्मेदारी है। मावली के निरंजन चौधरी, माहिर आजाद, कचरूलाल चौधरी, पूर्व उपजिला प्रमुख केवलचंद लबाना आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
खुलकर विरोध में नहीं आए : इसके बाद उदयपुर शहर की बैठक के लिए जैसे ही लोग सर्किट हाउस के कमरे में पहुंचे तो सफोगेशन के कारण पायलट ने बैठक बाहर खुले लॉन में ही करने को कहा। इस पर खुले में हुई बैठक में आज सभी ने संयम रखा लेकिन दबी-छिपी जुबान में सभी ने अपनी कसर निकालने का पूरा प्रयास किया।
नगर परिषद में पूर्व नेता प्रतिपक्ष के. के. शर्मा ने कहा कि शहर कार्यकारिणी में ही बिखराव है। ब्लॉक अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष के बीच हो रहे विवाद से हर कोई परिचित है। लोकसभा चुनाव से पहले इससे निपटना आवश्यपक है। युवा नेता जय निमावत ने कहा कि यहां कई बार पर्यवेक्षक आए, पूर्व अध्यक्ष आए और उन्हें अपनी समस्यारएं बताई लेकिन सभी हां करेंगे कहकर जाते हैं और वापस भूल जाते हैं। समस्याएं जस की तस रही, कोई समाधान नहीं हुआ।
केजी मूंदड़ा ने कहा कि युवाओं को जोड़ने की बात कांग्रेस के आलाकमान से चल रही है। उदयपुर के विश्वविद्यालयों में गत 20 वर्षों में उदयपुर में 10-12 छात्रसंघ अध्यकक्ष रहे लेकिन अफसोस कि इन पूर्व अध्यभक्षों को न तो यूथ कांग्रेस और न सिर्फ जिला कांग्रेस में शामिल किया गया। फिर किस स्तर पर युवाओं को आगे लाने की बात की जा रही है।
रियाज हुसैन ने दो टूक शब्दों में कहा कि यूआईटी में चेयरमैन नियुक्त किए गए लेकिन उन्होंने कोई ट्रस्टी की नियुक्ति नहीं की। अगर करते तो 18 ट्रस्टियों के माध्य म से शहर के छोटे छोटे कार्यकर्ताओं को लाभ मिलता जिससे कहीं न कहीं पार्टी को भी फायदा होता। अगर फाइव स्टार होटलों में बैठने वालों को ही पार्टी पद पर बिठाती रही तो नामो निशान नहीं रहेगा। डीसीसी भंग हो गई। बाद में वापस बनकर आई तो वही की वही कार्यकारिणी रही। फर्क सिर्फ यह रहा कि अल्प संख्यक पहले तीन थे जो दो कर दिए गए। अर्जुन राजोरा ने भी डीसीसी में चल रहे विवादों की जानकारी देते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में जिला कार्यकारिणी ने पैसे लिए हैं। इस पर जिलाध्याक्ष नीलिमा सुखाडि़या उग्र हो गई और उन्होंने कहा कि स्पष्ट करें कि किसने पैसे लिए हैं।
अंत में पायलट ने कहा कि जो अब तक हुआ, उसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता लेकिन अब चूंकि राजस्थािन की जिम्मेुदारी मुझे दी है तो आपको यह विश्वाकस दिला सकता हूं कि आपकी हर समस्या का समाधान होगा और अवश्य़ होगा। किसी को किसी तरह की शिकायत नहीं रहेगी। हाथों हाथ तो कुछ नहीं हो सकता लेकिन मुझे कुछ समय दें ताकि मैं प्रणाली को समझ सकूं और फिर मैं कार्यकर्ताओं से राय मशविरा कर ही कुछ कार्य कर पाऊंगा। तब तक आपको लोकसभा चुनाव में पार्टी को कैसे विजय दिलानी है, उस पर विचार करके कार्य करना है।
सीपी जोशी के नहीं आने की चर्चा : पूर्व प्रदेशाध्यंक्ष डॉ. सी. पी. जोशी के नाथद्वारा से लौटकर उदयपुर से बुधवार सुबह वापस दिल्ली जाते हुए उदयपुर में सचिन पायलट से नहीं मिलने को लेकर काफी चर्चा रही। कार्यकर्ताओं में हलचल रही कि क्या राहुल गांधी के विश्वासपात्र दोनों नेताओं पायलट और डॉ. सी. पी. जोशी की भी नहीं बनती है। शायद इसी कारण जोशी पायलट से मिलने नहीं आए और सीधे एयरपोर्ट निकल गए।