विद्यापीठ में मोबाइल तकनीकी, क्लाउड कम्प्यूटिंग पर सेमिनार सम्पन्न
उदयपुर। आज भारत नवीन तकनीक की खोज में आगे बढ़ रहा है। आमजन अपने जीवन में नवीन तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करें जिससे भारत का ओर अधिक विकास हो सके। यह बात सरदार पटेल विश्वगविद्यालय आनंद के प्रो. पी. वी. वीर परिहार ने मुख्य वक्ता के रूप में कही।
वे रविवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विष्वविद्यालय तथा एआईसीटीई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में एडवांसमेंट इन मोबाइल टेक्नोलॉजी एण्ड क्लाउड कम्प्यूटिंग के समापन सत्र में बोल रहे थे। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने कहा कि आईटी सेक्टर में आने वाले दौर में काफी कुछ करना शेष है लेकिन इसके इस सेक्टर में मेन पावर की कमी महसूस की जा रही है। इसके लिए जरूरी है कि आईटी सेक्टर में अधिक से अधिक रिसर्च हो तथा प्रारंभिक शिक्षा से ही बच्चों में आईटी के प्रति रुचि पैदा की जाए। अन्य देशों में फिर स्थिति ठीक है लेकिन भारतीय परिदृश्यआ में यह एक कड़ी चुनौती के रूप में उभर कर सामने आ रही है। मुख्य अतिथि कढ़ी विश्वआविद्यालय गुजरात के प्रो. एन. एन. जानी, ने कहा कि इन्फोरमेशन टेक्नोलोजी वर्तमान में तेजी से उभरता क्षेत्र है। आज जहां विदेशी तकनीकों को स्थानीय तौर पर विकसित करने के प्रयास किए जा रहे है वहीं शिक्षा क्षेत्र में भी इन तकनीकों का स्तेमाल किया जा रहा है। स्मार्ट क्लास आईटी की ही देन हैं विद्यार्थियों में आईटी क्षेत्र की ओर अधिकाधिक रूचि बढा़ने के लिए जरूरी है कि स्कूली शिक्षा में भी आईटी का पाठ पढ़ाया जाये।
प्रो. विजय चावडा़ निदेशक, कढ़ी विश्वविद्यालय, गुजरात, प्रो. बिजेन्द्र अग्रवाल निदेशक वीजेकेएम विभाग, गुजरात, गुजरात विश्व विद्यालय के प्रो. बंकिम पटेल, महिला अध्ययन केन्द्र की निदेशक डॉ. मंजू मांडोत, डॉ. भारत सिंह देवड़ा, आईटी के निदेशक डॉ. मनीष श्रीमाली एवं डॉ. गौरव गर्ग, डॉ. दिनेश श्रीमाली, चन्द्रेश छतवानी ने भी विचार व्यक्त किए।
मजबूत हो रिसर्च : प्रो. पी. वी. वीर परिहार ने कहा कि उच्च षिक्षा हो रहे आईटी रिसर्च कम प्रभावी है शोधार्थी ग्लोबल मार्केट के आधार पर रिसर्च को मजबूती दे। आईटी में विकास की अपूर्व संभावना है। इसमें नेनो टेक्नालॉजी, बायोमेट्रिक, कम्प्यूटर साईंस आदि है।
तकनीकी सत्र : आयोजन सचिव डॉ. गौरव गर्ग ने बतयाया कि इस दो दिवसीय सेमीनार में दो समानान्तर तकनीकी सत्रों में 115 शोध पत्रों का वाचन किया गया। इस अवसर पर पेसीफिक इंस्टीट्यूट के सहायक आचार्य जिनेन्द्र व्यास को उनके सर्वश्रेष्ठ पत्रवाचन पर सम्मानित किया गया।