उदयपुर। श्रीकृष्ण समग्रता के प्रतीक हैं। भक्ति, ज्ञान और कर्म का समन्वय उनका दर्शन है। यह विचार शुक्रवार को बड़ी ग्राम के सेवा महातीर्थ में चार दिवसीय श्रीकृष्ण कथा के तीसरे दिन बाल व्यास प्राची देवी ने व्यासपीठ से व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि भगवान को देखने के लिए आंख नहीं दृष्टि की आवश्यशकता है और यह दृष्टि उनके आदर्श जीवन से प्रेरणा ग्रहण करके ही हासिल की जा सकती है। जीवन में आनंद के लिए अहंकार को त्यागना होगा और जहां आनन्द होता है वहीं प्रभु का रमण होता है। प्राची देवी ने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के विविध प्रसंगों की व्याख्या करते हुए कहा कि सत्य की राह चलने वाले को कष्ट तो हो सकते हैं लेकिन विजय उसी की तय होती है। कथा के मध्य सुमधुर भजनों पर श्रद्धालु श्रोता नाचते-झूमते रहे। आरम्भ में व्यासपीठ का स्वागत निदेशक वंदना अग्रवाल ने किया।