जन्मदिन हो या विदाई?
जन्मदिन यानी इस सृष्टि पर आने का पर्व. इन दिनों इस जन्मदिन की काफी चर्चाएँ चल रही हैं. एक ओर वृद्धावस्था के कारण लुप्त प्राय हुए सशक्त भाजपा नेता अटलजी के जन्म दिवस को सद्भावना दिवस के रूप में मनाने का उनके कार्यकर्ताओं द्वारा संकल्प जताया गया था तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष के जन्मदिन पर उनके हजुरियों ने एक दिन पहले ही चर्चा-ए-आम करवा दी थी कि उन्होंने कहलवाया है कि उनके जन्मदिन पर कोई दिल्ली न आये ओर सभी को संकट में न डालें. अब इस बात को यूँ भी तो कहा जा सकता है कि जो लोग कांग्रेस अध्यक्ष के जन्म दिन को भूल गए थे, उन्हें स्मरण करवाया गया है कि अध्यक्षजी का जन्म दिन है, उनकी नज़रों में चढ़ने का इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता, इसी को लेकर एक साहब तो यहाँ आगे-पीछे चक्कर लगाने वाले कार्यकर्ताओं को एकत्र किया और उन्हें लेकर पहुँच गए एक स्कूल में. वहां बाकायदा बच्चों के जन्मदिन की तरह बच्चों को टोपियां पहना दी, हाथ में लड्डू के पैकेट पकडाए और फोटो खिंचवाकर अखबारों में भिजवा दिए. इसी प्रकार एक अन्य घटना में साहब-ए-आलम/हुज़ूर अपने जन्मदिन पर पूर्व में दिए वचन के कारण यहाँ मौजूद नहीं रहेंगे. इसलिए वे जन्मदिन के दो दिन बाद यहाँ उपलब्ध रहेंगे और अपने मिलने वालों से शुभ कामनाएं लेंगे. अगर आपको अपना जन्म दिन भी याद नहीं रह सकता तो इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है? और अगर याद था तो फिर वचन क्यूँ दे दिया? लेकिन जनता को अपनी ओर कैसे आकर्षित किया जाये, आजकल मार्केटिंग का ज़माना है. ओर मार्केटिंग नाम/प्रसिद्धि चाहने वालों को ज्यादा आती है.
सिर्फ जन्मदिन ही नहीं आजकल विदाई दिवस को लेकर भी खूब शोर है. एक तपस्वी के लिए क्या यह अफ़सोस की बात नहीं नहीं कि उनकी विदाई पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए जाएँ? एक ओर तो वे संयम, लोभ, लालच, दिखावे की दुनिया से दूर रहने की शिक्षा देते हैं और दूसरी ओर चार कदम चलने के नाम पर लाखों रुपये खर्च करवा देंगे? क्या यह जनहित में है? आज मुनि के दर्शन इस हस्ती ने किये, कल इतने बड़ी हस्ती आएँगी, आदि-आदि. यह सब प्रसिद्धि पाने का नहीं तो और किसका नमूना है. और आप धर्म प्रचार-जन कल्याण के लिए आये हैं तो सुविचार कहकर उन्हें प्रेरित कीजिये जबकि आप कर क्या रहे हैं…. आपकी विदाई को भव्य बनाने के लिए आपके भक्त लाखों रुपये फिजूल खर्च कर रहे हैं? क्या आपका फ़र्ज़ नहीं बनता कि आप उन्हें ऐसा करने से रोकें?