उदयपुर। राजस्थान के जनजाति बहुल क्षेत्र स्थित राज्य के एकमात्र मात्स्यकी महाविद्यालय मे मछली पालन की तकनीकी शिक्षा एवं मछुआरों को दिये जा रहे दक्षतावर्धक प्रशिक्षणों से प्रदेश के मछली पालन को बढा़ने में महाविद्यालय की महती भूमिका सिद्ध होगी।
यह बात महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने मात्स्यकी महाविद्यालय के प्रथम वार्षिक उत्सव ‘लहर-2014‘ में मुख्य अतिथि के रूप मे कही। प्रो. गिल ने बताया कि इस प्रदेश के अनेक जनजाति कृषक मछली पालन उद्योग से सीधे एवं परोक्ष से जुडे़ हैं। उचित शिक्षा, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान से सुदूर ग्रामीण अंचलों मे गुणवत्ता युक्त प्रोटीन आहार व आजीविका प्रदान की जा सकती है। वरीयता के आधार पर बीएफएससी द्वितीय वर्ष मे रवि कुमार, तृतीय वर्ष की ज्योति माटोलिया एवं चतुर्थ वर्ष मे तरंग शाह को अधिकतम प्राप्तांको के साथ श्रेष्ठ छात्रघोषित किया गया । एमएफएससी प्रथम वर्ष मे मनोज मीणा, द्वितीय वर्ष के शरद सुरनार तथा एमएफएससी वर्ष 2012-13 मे अमृता प्रीतम तथा पी.एच.डी मे हरशल वानखेडे प्रथम रहे।
खेलकूद में महाविद्यालय की चैम्पियनशिप रोहिताश यादव को 60 किग्रा वर्ग में व लखन लाल को 50 किग्रा वर्ग मे कुष्ती के लिये एवं सुश्री नीरज चौधरी को एग्री यूनिस्पोर्ट्स में भाग लेने एवं अंतरमहाविद्यालय खेलकूद प्रतियोगिताओं में टीटी की चैम्पियनशिप जीतने के लिए पारितोषिक प्रदान किए गए। साथ ही विश्वविद्यालय एग्रीयूनिफेस्ट मे प्रतिनिधित्व करने के लिए. नकुल भट्ट को भी पारितोषिक प्रदान किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। मन भावन गीतों पर लोक नृत्य एवं फ्यूजन गीतों के साथ ही पाश्चात्य गीतों पर भी आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में ब्यूतों आइज, ब्यूर्षक है पानी -पानी और ‘सुनो गौर से दुनिया वालों‘ एवं लोकगीत – ‘‘मत पीयो मारा छेल तम्बाकुडी‘‘ इत्यादि गीतो ंपर प्रस्तुत नृत्यों के दौरान उपस्थित छात्र समुदाय को भी नाचने एवं झूमने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम का संचालन मीनल, अमृता प्रीतम, नकुल, खुशबू एवं संतोष ने किया तथा छात्रसंघ महासचिव खेमराज बुनकर ने धन्यवाद दिया।