350 से अधिक महिलाओं ने लिया हिस्सा
उदयपुर। माहौल कुछ अलग ही था। ग्रामीण इलाकों की आदिवासी महिलाएं जब समय के अनुकूल बदलती कला, बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन, हाथकरघा उद्योग को बढ़ावा, गुणवत्ता की जांच आदि पर बात कर रही थीं। मौका था विद्या भवन सभागार में हिंदुस्ताान जिंक के ‘सखी’ सम्मेलन का जिसमें भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसंमद तथा अजमेर से करीब 350 से अधिक महिलाएं उपस्थित रहीं।
महिलाओं ने अपने द्वारा बनाई गई वस्तुओं को बताकर उनकी गुणवत्ता जांच भी कराई। ‘सखी’ सम्मेलन में सम्मलित महिलाओं ने कच्चे माल, ओर अधिक प्रषिक्षण, तथा उत्पादों की अधिक मांग पर जोर दिया। इस सम्मेलन द्वारा जुड़कर महिलाएं अत्यधिक प्रसन्न थी तथा उन्हें पूर्ण विश्वादस था कि अब उनकी बनाई वस्तुओं में अधिक गुणवत्ता आएगी तथा बाजार मूल्य में भी वृद्धि होगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिंदुस्तान जिंक के हेड (कार्पोरेट रिलेशंस) सी. एस. आर मेहता ने बताया कि हिन्दुस्तान जिंक के अभियान ‘सखी’ द्वारा कंपनी के 475 स्वयं सहायता समूह की लगभग 6000 महिलाओं को न सिर्फ एकजुट किया जा रहा है बल्कि उनके द्वारा बनाई गई वस्तुओं का सही मूल्य भी आंका जाएगा, उनकी गुणवत्ता बढाई जाएगी तथा बाजार से जोड़ा जाएगा ताकि इन महिलाओं को अधिक से अधिक आर्थिक लाभ मिल सके।
सम्मेलन में जयपुर से आई भारतीय शिल्प संस्थान की प्रो. अनुजा सिसोदिया ने ग्रामीण महिलाओं को आज के बदलते फैशन के अनुसार परिधान एवं साज-सज्जा की वस्तुएं बनाने की सलाह दी। उन्होंने महिलाओं की बनाई वस्तुओं की सराहना करते हुए कहा कि महिलाएं किसी भी डिजाइनर से कम नहीं है। साथ ही प्रोफेसर अनुजा ने अपने लाए गए सेम्पल्स को दर्शाकर ग्रामीण व आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाई जा रही वस्तुओं में बदलाव लाने की भी सलाह दी।
हिन्दुस्तान जिंक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेशन पवन कौशिक ने महिलाओं से बातचीत कर उन्हें अथक परिश्रम व नये उत्पादों को अपनाने की सलाह दी ताकि बाजार अनुसार मांग को पूरा किया जा सके। जिंक की हेड (सीएसआर) सुषमा ने इन महिलाओं की समस्याओं पर गहन चर्चा अथवा समाधान के लिए हर संभव प्रयास का आश्वाएसन दिया।