जयंती व शहादत दिवस पर हुआ 51 यूनिट रक्तदान
उदयपुर। प्रतापसिंह बारहठ की वंश परम्परा देशभक्ति की थी। शाहपुरा के बनेडा़ पर आक्रमण के समय फौज बनेडा़ के रणवास की ओर बढी तो देवाजी बारहठ शाहपुरा की फौज में होते हुए हमला बर्दाश्त नहीं कर सके और उसकी रक्षार्थ युद्ध किया। इसी परम्परा में महान् इतिहासकार, साहित्यकार, राजनीति के विशेषज्ञ कृष्णसिंह बारहठ हुए जिनके तीन पुत्र केसरीसिंह, जोरावर सिंह एवं किशोरसिंह हुए। केसरीसिंह के बडे़ पुत्र कुंवर प्रताप सिंह बारहठ हुए।
ये विचार राज्य धरोहर प्रोन्नत समिति के अध्यक्ष औंकारसिंह लखावत ने शनिवार को क्रान्तिकारी अमर शहीद प्रतापसिंह बारहठ की जयंती व शहादत दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि व रक्तदान शिविर में व्यक्त किये। अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधायक सी. बी. देवल ने कहा कि प्रतापसिंह और जोरावर सिंह के नाम लाहौर षडयंत्र केस में गिरफ्तारी वारंट निकला। केसरीसिंह को सजा हुई। प्रतापसिंह ने लॉर्ड हार्डिंग्स पर 23 दिसम्बर 1912 को बम फेंका। जोधपुर के पास वे पकडे गए और 1918 में जेल में यातनाए दी गई जहां वे शहीद हुए। विशिष्टे अतिथि मां कंकू केसर ने बताया कि उदयपुर के क्रान्तिकारी प्रतापसिंह बारहठ का जन्म क्रान्तिकारी वातावरण में हुआ था। अंग्रेजों के पूछने पर प्रताप ने कहा कि अभी तो पुत्र वियोग में मेरी माता कष्ट भोग रही है किन्तु मैं सब कुछ बता दूंगा तो कितने और माताओं को कष्ट होगा।
श्रद्धांजलि सभा में निर्माण समिति अध्यक्ष प्रेमसिंह शक्तावत, डॉ. राजेन्द्रसिंह बारहठ, प्रताप सिंह बारहठ के प्रपौत्र विशालसिंह सौदा, कमलेन्द्रसिंह पंवार ने भी विचार व्यक्त किए। रक्तदान व सम्मान समारोह : रॉयल ग्रुप मेवाड की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि एवं रक्तदान शिविर में कुल 51 रायॅल्स ग्र्रुप के कार्यकर्ताओं ने लोकमित्र ब्लड बैंक के तहत रक्तदान किया। पद्मश्री सूर्यदेव सिंह बारहठ को वर्ष 2014 का अमर शहीद प्रताप सिंह बारहठ पुरस्कार प्रदान किया गया जिसके तहत प्रशस्ति पत्र व चेक भी दिया गया। चेक की राशि को पुनः प्रताप सिंह बारहठ की स्मृति में भेंट कर दिया।