उदयपुर। फादर्स डे… यानी पिता के लिए निकाला गया एक दिन। भले ही पाश्चात्य संस्कृति के आगमन से कहने को एक दिन ही सही लेकिन आज के युवा पिता को याद तो करते हैं वहीं पिता भी अब बच्चों की ओर आस की निगाह से देखते हैं कि बच्चा याद करता है या नहीं।
फादर्स डे, मदर्स डे… ये सभी एक औपचारिक रस्म की ओर इंगित नहीं करते हैं। जहां मन में माता पिता के प्रति सच्ची श्रद्धा और भावना होती है, फिर ऐसी रस्मों के बाद वह औपचारिक बनती जाती है। मदर्स डे पर माता के चरण स्पार्श, फादर्स डे पर पिता के चरण स्पर्श…। जब तक ये मदर्स डे या फादर्स डे नहीं थे, क्याव तब माता पिता की सेवा नहीं होती थी या बच्चे नहीं करते थे लेकिन भौतिकवादी युग में जब हर क्षेत्र में हम आगे जा रहे हैं तो फिर रिश्ते नातों को पीछे कैसे छोड़ सकते हैं। उन्हें भी अपने साथ अपने ढंग से मनाने के तरीके ढूंढ रहे हैं। माता-पिता को खुश रखने का यह एक और मौका है। अगर इसे मनाने से माता-पिता खुश होते हैं तो जरूर मनाना चाहिए।
भले ही कुछ भी हो लेकिन प्रत्येक जून माह के तीसरे रविवार को मनाया जाने वाला फादर्स डे आज यहां भी मनाया गया। कहीं घर में ही सेलिब्रेशन किया गया तो कहीं माता पिता के साथ बाहर आउटिंग की गई। घरों में बच्चों ने माता पिता को गिफ्ट भी दिए।