गोताखोर छोटू हेला को 21 हजार रुपए का पुरस्कार
उदयपुर। जन्मदिन तो सभी का आता है लेकिन पूरा विश्व जिसका जन्मदिवस मनाए ऐसे महापुरुष विरले ही होते हैं। ऐसे ही महापुरुष थे तेरापंथ धर्मसंघ के दशम अधिशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ जिनका जन्मदिन बुधवार को प्रज्ञा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। वे सिर्फ जैन नहीं बल्कि सभी धर्मों के थे। ये विचार विभिन्न वक्ताओं ने व्यक्त किए।
तेरापंथी सभा की ओर से आचार्य महाप्रज्ञ के जन्मदिवस को प्रज्ञा दिवस के रूप में मनाते हुए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक कैलाश मानव ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जैसे तपस्वियों के बारे में बोलना मानो सूर्य को दीया दिखाना है। चार दिन के हुए कार्यक्रम में संस्थान द्वारा पौधरोपण व रक्तदान मानों यज्ञ में मात्र एक आहूति के समान था।
साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता। आचार्य श्री ने छोटी अवस्था में अपना मार्ग चुन लिया। ऐसे ही कई बुद्धिजीवी जो बचपन में बहुत कमजोर थे लेकिन बाद में उन्होंने विश्व भर में नाम कमाया। थॉमस डी सिल्वा एडिसन, कृष्णमूर्ति आदि वैज्ञानिकों को कौन नहीं जानता। आचार्य श्री ने अपने स्वाध्याय की प्रक्रिया को बढ़ाया और वे विविध भाषाओं के ज्ञाता बन गए। सिर्फ तेरापंथ ही नहीं, विश्व के हर समुदाय ने उनकी विद्वता का लोहा माना। वे दर्शन के विद्यार्थी बने। मानवीय मन को जहां समझना बहुत मुश्किल है, वे मनोवैज्ञानिक थे जो सामने वाले को देखते ही उसके मन की बात को समझ जाते थे। उनके जीवन में बिल्कुल पारदर्शिता थी। उनके जीवन विज्ञान, प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों से अपना जीवन सफल बनाएं।
नगर निगम की महापौर रजनी डांगी ने कहा कि आज यहां अपने निगम के ही एक कर्मचारी छोटू हेला को आचार्य महाप्रज्ञ अणुव्रत सेवा सम्मान से सम्मानित होते देखकर मैं न सिर्फ हर्षित हूं बल्कि खुद को प्रफुल्लित महसूस कर रही हूं।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने आगंतुकों व अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि उस महामानव आचार्य महाप्रज्ञ का स्मरण करने के लिए हम यहां एकत्र हुए हैं। प्रज्ञा दिवस के रूप में मना रहे इस आयोजन में हम संकल्प करें कि सकारात्मक सोच के साथ जीवन को शुचिपूर्ण बनाएंगे। आचार्य श्री को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से नवाजा गया। उन्होंने स्वयं को न सिर्फ धर्मसंघ को बल्कि देश को अर्पित कर दिया। उन्होंने बताया कि साध्वीवृंदों का गुरुवार सुबह विहार होगा। वे यहां से हजारेश्वर कॉलोनी स्थित रूपलाल डागलिया के यहां प्रवासरत रहेंगी। चातुर्मास के लिए 2 जुलाई को उनका मंगल प्रवेश तेरापंथ भवन में होगा।
अणुव्रत समिति के अध्यक्ष गणेश डागलिया ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ किसी भी विषय पर हाथों हाथ कविता रचने में माहिर थे। आचार्य तुलसी ने इस को लेकर कई बार आजमाया और वे हर परीक्षा में खरे उतरे। गुजरात दंगों के दौरान 2002 में लाडनूं से निकली अहिंसा यात्रा जब गुजरात से होकर जा रही थी तब उन्हें मना किया गया कि वे यात्रा यहां से नहीं निकालें लेकिन आचार्य महाप्रज्ञ अटल थे कि अगर अहिंसा यात्रा यहां से नहीं निकली तो फिर इस यात्रा के निकालने का उद्देश्य ही निरर्थक है। यात्रा न सिर्फ वहां से निकली बल्कि उसका जमकर स्वागत किया गया और वहां से महाराष्ट्र पहुंची।
सुंदरदेवी कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष यशवंतसिंह कोठारी ने कहा कि इस पुनीत अवसर पर ट्रस्ट के सहयोग से तेरापंथ सभा के तत्वावधान में शहर के गोताखोर छोटू हेला को उल्लेखनीय सेवाएं प्रदान करने के लिए आचार्य महाप्रज्ञ अणुव्रत सेवा सम्मान प्रदान किया गया। इसके तहत उन्हें 21 हजार, स्मृति चिह्न, उपरणा, अणुव्रत आचार संहिता आदि प्रदान किए गए। छोटू के अभिनंदन पत्र का वाचन एचएल कुणावत ने किया।
हास्य कवि डाडमचंद डाडम ने हास्य फुलझडिय़ां बिखेरते हुए सभागार में मौजूद श्रावक-श्राविकाओं के अधरों पर मुस्कान बिखेरी वहीं धर ले रे तू ध्यान प्रभु को धर ले रे की गीतिका से आचार्य महाप्रज्ञ को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
कार्यक्रम का सफल संचालन सभा के मंत्री अर्जुन खोखावत ने किया। कार्यक्रम का आगाज साध्वी कनकश्रीजी के नमस्कार महामंत्र से हुआ। मंगलाचरण साध्वीवृंदों ने प्रस्तुत किया। आभार संरक्षक शांतिलाल सिंघवी ने जताया। कार्यशाला में सहयोग निर्मल कुणावत, महिला मंडल अध्यक्ष मंजू चौधरी, शशि चह्वाण, मीडिया प्रभारी दीपक सिंघवी, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री अभिषेक पोखरना का रहा।