उदयपुर। मीठे प्रवचनकार आचार्य शान्तिसागर ने कहा कि जीवन का सत्य है कि नदी-नालों में नहाने और तीर्थवन्दना करने मात्र से पाप कर्म नहीं धुलते। अगर ऐसा होता तो नदी-नालों में रहने वाले तमाम जीव- जन्तुओं को तो कभी की मुक्ति मिल गई होती। चर्म होने से कर्म नहीं धुल जाते।
उन्होंने मंगलवार को बीसा हुमड़ भवन में आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा में कहा कि मनुष्य अपने जीवन में जगह- जगह तीर्थ वन्दनाओं के लिए जाता है, विभिन्न पवित्र नदियों में स्नान- ध्यान करता है और यह सोचता है कि ऐसा करने से जीवन में किये गये उसके पाप कर्म धुल जाएंगे, उसके द्वारा जाने- अनजाने में किये गये पापों से छुटकारा मिल जाएगा। जीवन बहुत ही क्षणिक है। हमें शाश्वत सुख प्राप्त करने के साथ ही मोक्ष के उपाय भी करने होंगे। हमें आत्मकल्याण में बाधक कारकों को हटाकर प्रभु का ध्यान और साधना करनी होगी तब ही पाप कर्मों से छुटकारा मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा और हमारा जीवन मोक्ष की ओर अग्रसर हो पाएगा। चातुर्मास कमेटी के सुमतिलाल ने बताया कि बीसा हुमड़ भवन में आचार्यश्री शान्तिसागर जी महाराज के चातुर्मासिक प्रवचन प्रारम्भ हो चुके हैं। प्रवचनों का समय रोजाना प्रात: 8.15 से 9.15 बजे तक रखा गया है। प्रवचन से पूर्व रोजाना प्रात: 4.45 से प्रात: 6.15 बजे तक महाचक्रधारी पूजा विधान होता है। विधान के प्रथम दिन से ही कई भक्त इसका लाभ लेने जुटने लगे हैं। चातुर्मासकाल में ही रोजाना दोपहर 2 बजे से 3.30 बजे तक स्वाध्याय, 3.30 बजे से सायं 5 बजे तक शंका समाधान कार्यक्रम तथा सायं 7 बजे से आरती, आनन्द यात्रा तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।