68 चन्दनबाला के तेलो का सामूहिक पारणा
उदयपुर। साध्वीश्री कनकश्रीजी ने कहा कि भाषा ही परिवार एवं समाज में आपसी रिश्तों में मिठास व कड़वाहट पैदा करती है। बोलते समय पर उस पर संयम रखना चाहिये। उन्होंने कहा कि कलहकारी, अप्रियकारी, अनिष्टकारी एवं हिंसाकारी भाषा का भूल कर भी प्रयोग नही करें, जब हम बोलते है तो धर्म चुप हो जाता है और जब मौन रहते हे तो धर्म प्रखर होता है।
उन्होंने आज श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ भवन में चल रहे पयुर्षण महापर्व कार्यक्रम के तहत चौथे दिन वाणी संयम दिवस पर बोलते हुए उक्त बात कहीं। उन्होंने कहा कि बिना मतलब नही बोलना चाहिए क्योंकि बोलने से हमारी शक्तियां खत्म होती है। व्यक्ति को चाहिये की अनायास ना बोले, बोले तो भी संयमित और विवेक के साथ बोले।
साध्वीश्री मधुलता ने इस अवसर पर कहा कि वाणी पर संयम रखने वालो मे 9 गुणों की विशिष्टता होती है। संयमित भाषा के बोलने से न तो उसकी निन्दा होगी और न हीं झूठ का सहारा लेना होगा। उसका किसी से बैर नही होगा और न हीं क्षमा माँगनी पड़ेगी। पश्चाताप नहीं करना पड़ेगा और न समय का दुरूपयोग होगा। संयमित भाषा से बोलने से अज्ञानी का अज्ञान भी प्रकट नही होगा।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तवात ने बताया कि वाणी संयम दिवस से पूर्व साध्वीश्री के सानिध्य मंक प्रात: 6:30 बजे 68 चन्दनबाला एवं चक्रवर्ती के तेलो का सामूहिक पारणा अनुष्ठान के साथ सम्पन्न हुआ। उन्होंने बताया कि पारणा के दौरान चंदन का तेला-पुण्यों का मेला विषय पर लघु नाटिका का मंचन हुआ। नाटिका में बताया गया कि किस प्रकार चंदनबाला ने भगवान महावीर को अपनी क्षमता से अधिक की गई तपस्या पर 13 अर्थग्रह की पूर्ति होने पर आहार बैराया।