महिषासुर वध व सुफी नृत्य ने मन मोहा, भरतनाट्यम की मोहक प्रस्तुति
udaipur. हवाला गांव के शिल्पग्राम में चल रहे दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में मंगलवार को सातवें दिन रंगमंच पर ‘‘उड़ान’’ का आयोजन किया गया जिसमें एबिलिटी अनलिमिटेड फाउण्डेशन की ओर से विशेष बालकों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को हैरत में डाल दिया। इन विशेष बाल कलाकारों ने इस अवसर पर व्हील चेयर पर नृत्य नाटिका ‘‘महिषासुर वध’’ में अपने अभिनय का जौहर दिखाया वहीं सूफी गीत पर व्हील चेयर की कलात्मक स्पिन से दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।
उत्सव के सातवें दिन रंगमंचीय कार्यक्रमों की शुरूआत कुचामणी ख्याल से हुई इसके बाद गैर नर्तकों ने अपनी थिरकन से दर्शकों को मोहित किया। कार्यक्रम में भपंगवादक जुम्मेखां ने अपनी काव्य रचना ‘‘टर्र’’ सुना कर दर्शकों का मनोरंजन किया वहीं सिद्दि कलाकारों ने मंच पर नारियल फाड़ कर उत्सव का जश्न मनाया।
उड़ान में मंगलवार को एबिलिटी अनलिमिटेड फाउण्डेशन की प्रस्तुति दर्शकों को भरपूर रास आई। प्रस्तुति के दौरान सैयद अहमद पाशा ने कहा कि इन विशेष बच्चों को दया नहीं अवसर की जभ्रूरत है। पाशा व उनके दल की पहली प्रस्तुति ‘‘महिषासुर वध’’ थी। इस नाटिका में पहले देवी के रूप् के दर्शन हुए उसके बाद महिषासुर का दरबार जिसमें नर्तकियां नाचती दिखाई गई इसके बाद दूवी और महिषासुर का युद्ध रोचक अंदाज में दिखाया गया अंत में देवी द्वारा महिषासुर का वध का दृश्य अत्यंत रोमांचक बन सका। दर्शकों ने व्हील चेयर के कलात्मक प्रयोग तथा आवश्यकतानुसार उसके उपयोग को मुक्त कंठ से सराहा।
इसके बाद विशेष बाल कलाकारों ने सूफी गीत ‘‘ख्वाजा मेरे ख्वाजा’’ पर अपने नर्तन से समां बांध दिया। इस नर्तन में प्रकाश संयोजन व संगीत संरचना श्रेष्ठ बन सकी। इसके पश्चा्त दल के सदस्यों ने शास्त्रीय नृत्य शैली में भरतनाट्यम प्रस्तुत किया जिसमें व्हील चेयर पर दैहिक भंगिमाएँ व भाव प्रवणता अत्यंत सुंदर बन सकी। कार्यक्रम में बाल कलाकारों ने मणिपुर की युद्ध कला थांग—ता का प्रदर्शन बड़े जीवट और सामंजस्य के साथ कर दर्शकों की दाद बटोरी। अंत में पाशा व उनके दल ने सम्पूर्ण श्रीमदभागवत प्रस्तुत कर वातावरण में भक्तिपूर्ण माहौल पैदा कर दिया।
हाट बाजार में खरीदारी का दौर
कलात्मक वस्तुओं के खरीददारों का जमावड़ा रहा तथा बड़ी संख्या में लोगों द्वारा शिल्पग्राम पहुंचकर व खरीददारी की गई। उत्सव के सातवें दिन मेला प्रारम्भ होने के साथ खरीददारों की आवक शुरू हुई जो देर शाम तक जारी रही। हाट बाजार में लोग विभिन्न दूकानों पर खरीद—फरोख्त करते नजर आये। शिल्पग्राम के मृणकुंज में खुरजा की पॉटरी के बने कलात्मक व सजावटी पॉट्स, चाय व कॉफी मग, टी सैट, कप तश्तरी, फूलदान, लैम्प, लकड़ी के कलात्मक नमूने आदि को देखने व खरीदने वालों का तातां लगा रहा। हाट बाजार में जूट की बनी कलात्मक व सजावटी वस्तुएं, बैग्ज, वॉल हैंगिंग्स, झूले आदि की स्टॉल पर लोगों ने खरीददारी की। दर्पण बाजार में लोगों का रूझान जहां मृदा निर्मित नमूनों की ओर रहा, इसी बाजार में खेराती कला से लकड़ी को तराशते उदयपुर के शिल्पकार ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। दर्पण बाजार में ही आदिवासी अंचल का प्रमुख हथियार तीर कमान लोगों को खूब पसंद आया वहीं मोर पंख के झाड़ लोगों को लुभा रहे हैं। इसी बाजार में बैठे इत्र फरोश सेफूद्दीन की दूकान के समीप से गुजरने पर इत्र की भीनी—भीनी महक लोगों को आकर्षित करती व सेफूद्दीन लोगों की बांह पर विभिन्न फ्लेवर के इत्र की खुशबू लगा देता।
विविधा में काँच के बने पैन, पैन स्टेण्ड, मूर्तियाँ, सजावटी फूल, गणपति की रथ सवारी को लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया। पेठापुर झोंपड़ी सामने विविधा में पारंपरिक चित्रकारी, मिजोरम के फूल आदि उल्लेखनीय है। गोवा के कुम्हार की झोंपड़ी के सामने घोसुण्डा से आये शिल्पकार पारंपरिक तरीके से कागजभ् बनाने का प्रदर्शन कर रहे हैं। अपनी दूकान के आगे गड्डा खोद कर उसमें पानी में घुली लुग्दी से कागजभ् बना कर लोगों को दिखा रहा है।
बाल संसार में सीखे बच्चे
बाल संसार में कला विशेषज्ञों से सीखने के लिये काफी बच्चे आ रहे हैं तथा मटर गश्ती के बीच नमूने बना रहे हैं। खेल—खेल में बच्चों ने विभिन्न वस्तुएँ बनाई है। बालकों में कला के प्रति रूझान पैदा करने तथा उनकी सृजनात्मकता को बढ़ावा देने के ध्येय से शिल्पग्राम की सम झोंपड़ी में बालकों ने लूणाराम के साथ मिट्टी कला के नमूने बनाये, केशव काटे के साथ मुखौटे, कृतिका काटे के साथ पेपर मेशी, याकुब मुल्तानी से बांधनी कला का डिजाइन काम, अदिति बाबेल से पुस्तकों के कलात्मक कवर बनाना सीखा तथा तन्वी अब्बासी ने कलात्मक मेहंदी माण्डणे का प्रशिक्षण दिया। इस कार्यशाला में बच्चे उत्साह से भाग लेते। बच्चों का रूझान मिट्टी काम, मुखौटा, पुस्तक कवर इत्यादि बनाने ज्यादा रहा।
बुधवार को ‘सप्तरंग’ : बुधवार को ‘‘सप्तरंग’’ के आयोजन होंगे। जिसमे विभिन्न राज्यों की कलाओं के साथ ही एबिलिटी अनलिमिटेड फाउण्डेशन की प्रस्तुतियों को देखने का पुन: अवसर मिल सकेगा।