उदयपुर। बढ़ती उम्र में आर्थराईटिस यानि जोड़ो का दर्द होना एक सामान्य प्रकिया है। आर्थराईटिस जोड़ो में मौजूद कार्टिलेज की कमी के कारण होता है। घुटना, कुल्हा, हाथ के जोड़ में अक्सर यह पाया जाता है।
हेल्पेज इण्डिया एंव महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान द्वारा विज्ञान समिति आयोजित आर्थराईटिस एवं उसका प्रबन्धन विषय पर आयेाजित वार्ता में बोलते हुए आर्थराईटिस रोग विशेषज्ञ डॉ.राहुल खन्ना ने उपरोक्त बात कहीं। उन्होंने बताया कि उक्त बीमारी जीवनचर्या में बदलाव, मोटापा,तनाव, मधुमेह आदि के कारण होता है। यह बीमारी पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पायी जाती है। इस बीमारी में अब नवीन तकनीक के रूप में दूरबीन से भी ऑपरेशन होने लगे है।
डॉ.खन्ना ने बताया कि आम तौर पर मनुष्य के साामनय वजन की तुलना में जितना अधिक उसका वजन होता है उसे तीन गुना अधिक वजन उसके घुटने वहन करते है जो घुटनों की बीमारी के लिए बहुत हानिकारक है। आर्थराईटिस बीमारी में कार्टिलेज की कमी को पूरा करने के लिए बाबादम व अखरोट का सेवन करना चाहिये क्योंकि इन दोनों में कुछ ऐसे तत्व होते है जो कार्टिलेज की कमी को पूरा करते है।
इस अवसर पर डॉ. हारून मन्सूरी ने बताया कि आर्थराईटिस बीमारी में रोगी को अधिक समय तक खड़े नहीं रहना चाहिये,बार-बार उठ-बैठ नहीं करनी चाहिये,जमीन पर नहीं बैठना चाहिये। इस बीमारी के निवारण में फिजियोथैरेपी सबसे बड़ा उपाय है। उन्होंने बताया कि जोड़ो पर कार्टिलेज कम होकर वहंा हड्डियों के टूटने पर केल्शियम का अधिक जमाव हो जाता है जिससे हड्डियां अपनी साईज में बढऩे लग जाती है। महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान के महासचिव भंवर सेठ ने अपने विचार रखें। कार्यक्रम में हेल्पेज इंडिया की जयपुर से आयी वंदना चौधरी एंव अंजू भी मौजूद थी। अंत में संस्थान के अध्यक्ष चौसरलाल कच्छारा ने धन्यवाद दिया।