वित्त समिति से अनुमोदन कराए बगैर संशोधित बजट पास
उदयपुर। नगर निगम के इस बोर्ड की आनन फानन में बुलाई गई आखिरी बैठक को विपक्ष पूरी तरह से अवैध बताया रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष की दबंगई के कारण बैठक हो गई। वर्ष 2014-15 के संशोधित बजट को बोर्ड के सम्मुख अनुमोदन के लिए रखा गया। आश्चर्य की बात यह है कि इसका वित्त समिति से अनुमोदन तक नहीं कराया गया।
इस पर कांग्रेस पार्षद मनीष श्रीमाली ने जब विरोध जताया, तो सत्ता पक्ष के पार्षदों ने हो हल्ला मचा दिया और महापौर रजनी डांगी ने बोर्ड को वित्त समिति से बड़ा बताते हुए संशोधित बजट को अनुमोदन के लिए बोर्ड के सम्मुख रख दिया। सदन में जब वित्त समिति की अध्यक्ष कविता मोदी से जवाब मांगा गया और क्रजवाब दो, जवाब दोञ्ज के नारे लगाए गए, तो मोदी ने उठकर दो बयान दिए। पहला कि क्रमेरी जानकारी में यह नहीं था।ञ्ज इसका घोर विरोध होने पर उन्होंने दूसरा बयान दिया कि क्रसमयाभाव के कारण इसका अनुमोदन नहीं किया जा सका।ञ्ज इस पर कांग्रेस पार्षद शिप्रा उपाध्याय, रेहाना जर्मनवाला ने कहा कि गत 10 माह से वित्त समिति की कोई बैठक क्यों नहीं हुई? इसका कारण भी मोदी ने समयाभाव बताया।
यह बोर्ड बैठक अपने आप में इसलिए भी अनूठी कही जा सकती है कि जो पार्षद पूरे साढ़े चार साल तक महापौर के विरोध में बोलते रहे, उन्होंने भी इस अंतिम बैठक में महापौर का साथ दिया। यहां तक कि कुछ समय पूर्व निजी कंपनी द्वारा केबल के लिए सडक़ें खोद देने के मामले में स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष और महापौर का जबरदस्त गर्मागर्म हॉट-टॉक हुई थी, वे अध्यक्ष भी पूरी बैठक में महापौर का बचाव करते दिखे। उपमहापौर हर बार बोर्ड बैठक में महापौर से दूरी बनाए रखते थे, इस बैठक में बात-बात पर महापौर से चर्चा करते दिखे। विपक्षी पार्षद मोहम्मद अयूब स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष को यही कहकर चुप कराते रहे कि आप तो अगले महापौर की दौड़ में हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप हमें चुप कराएं।