उदयपुर। लिंग आधारित हिंसा को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर सोच एवं व्यवहार में सुधार की आवश्यकता है। युवा वर्ग अपनी पहल से समाज में महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा को रोक सकते हैं। इस विचार के साथ मंगलवार को विद्या भवन पॉलिटेक्निक महविद्यालय में जेंडर आधारित हिंसा पर पिएर एजूकैटर वालंटियर के प्रशिक्षण के विषय पर कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रिय सेवा योजना इकाई द्वारा किया गया।
कार्यशाला में युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए संस्था की विद्यार्थी कृतिका व्यास ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनका स्वावलंबी होना प्रथम शर्त है। नरेगा, आरटीआई की तरह ही देश में महिला स्वावलम्बन कानून बनाकर लागू किया जाना चाहिए। कार्यशाला में विकास संसाधन केन्द्र , सोसाइटी टू अपलिफ्ट रूरल इकोनोमी (श्योर), जयपुर के निदेशक सत्यदेव बारहठ, संस्था के प्राचार्य अनिल मेहता ने भी विचार व्यक्त किए।
प्रशिक्षक राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रभारी राधाकिशन मेनारिया ने घरेलू हिंसा सरंक्षण अधिनियम, पीसीपीएनडीटी कानून, बालविवाह निषेध अधिनियम, कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून की जानकारी दी। विशाखा कमेटी की अध्यक्षा सोनू हिरावत ने भी विचार व्याक्त। किए।