नई खनन नीति-2015 के प्रारूप पर यूसीसीआई में परिचर्चात्मक बैठक
उदयपुर। उदयपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के चेम्बर भवन के अरावली सभागार में प्रस्तावित ‘खनिज नीति-2015’ के संदर्भ में राज्यस्तरीय खुली परिचर्चात्मक बैठक का आयोजन किया गया। अध्यक्षता भू-विज्ञान विभाग के निदेशक डीएस मारू ने की।
आरंभ में यूसीसीआई के अध्यक्ष विनोद कुमट ने सभी का स्वागत किया। यूसीसीआई की खनन उप समिति के चेयरमैन पूर्वाध्यक्ष एमएल लूणावत ने कहा कि किसी भी देश के स्थायी विकास के लिये मिनरल उत्खनन एवं पर्यावरण का संरक्षण दोनों आवश्यक है। लूणावत ने विभाग के अधिकारियों से अपील की कि नई मिनरल पॉलिसी बनाने के साथ ही यह भी सुनिष्चित करे कि कोई दूसरा कानून उसे सुपरसीड नहीं करे। उन्होंने सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रणाली को सही अर्थों में लागू करने का भी सुझाव दिया।
भू-विज्ञान विभाग के निदेशक डीएस मारू ने खनन उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा समय समय पर खनन सम्बन्धी बातों को दूर करने हेतु नियमों में संशोधन किया जाता है। मेजर मिनरल केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं जबकि माइनर मिनरल से सम्बन्धित पॉलिसी राज्य सरकार द्वारा तय की जाती है। भू-विज्ञान विभाग के वरिष्ठ् खनन अभियन्ता मधुसूदन पालीवाल ने पॉवर पॉइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से नई मिनरल पॉलिसी 2015 का ड्राफ्ट प्रारूप प्रस्तुत किया। पालीवाल ने बताया कि मिनरल उत्खनन से रोजगार सृजन, राजस्व वृद्धि तथा स्थायी विकास के उद्देश्य से निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया। नई नीति में समयबद्ध सीमा में क्लीयरेंस, शक्तियों का विकेन्द्रीकरण, लगभग सभी कार्य ऑनलाइन करने का प्रावधान किया गया है।
नई मिनरल पॉलिसी 2015 में रोजगार सृजन, राजस्व में वृद्धि, स्थाई विकास को प्रोत्साहन, आवेदनों का समयबद्ध निस्तारण, शक्तियों का विकेन्द्रीकरण, अधिकांश प्रक्रियाएं ऑन लाईन करना, नियमों का सरलीकरण, आधुनिक मिनरल टेस्टिंग लेब की स्थापना, आधुनिक मिनरल सर्वे उपकरण उपलब्ध कराना, मिनरल सम्बन्धी जियो-इन्फोरमेशन उपलब्ध कराना, खनन का वैज्ञानिक पद्धति से दोहन, माइनिंग लीज की समयावधि 15 से 30 वर्श करना, बजरी खनन हेतु पर्यावरण क्लीयरेंस की बाध्यता समाप्त करना, बजरी खनन हेतु लीज बढ़ाने का प्रावधान, क्वारी लाईसेंस की जगह माईनिंग लीज को बढ़ावा देना, अवैध खनन को परिभाशित कर इसको रोकने का उपाय करना, पर्यावरण मॉनिटरिंग फंड का सदुपयोग, माईनिंग कलस्टर में एक माईनिंग इंजिनियर की नियुक्ति का प्रावधान, खनन हेतु ढांचागत सुविधाओं को सीएसआर गतिविधियों में सम्मिलित करना आदि प्रमुख हैं। यूसीसीआई के संरक्षक श्री अरविन्द सिंघल ने भू विज्ञान विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों को अच्छी पहल बताया।
बैठक में भू-विज्ञान विभाग के अतिरिक्त निदेशक पंकज गहलोत, एएल शेख तथा वरिश्ठ खनन अभियन्ता एमएस पालीवाल एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। बैठक में उपर माल स्टोन एक्सपोर्ट एसोसिएशन, गुडली चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर एसोसिएशन, जोधपुर इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन, राजस्थान लाइम मैन्यूफैक्चरर रांधसर विकास सोसायटी जैसलमेर पत्थर मिनरल व्यापार संघ, उदयपुर मार्बल एसोसिएशन, सोप स्टोन प्रोडयूसर एसोसिएशन्स, राजसमंद माइन ऑनर एसोसिएषन, ग्रेनाईट एसोसिएशन जालौर आदि संघों के पदाधिकारियों ने उपरोक्त परिचर्चात्मक बैठक में भाग लिया। संचालन मानद महासचिव हेमन्त जैन ने किया।