उदयपुर। पीतल (ब्रास) एवं व्हाईट मेटल (एल्यूमिनियम) पर हाथ की कलाकारी से बने विभिन्न प्रकार के चमचमाते उत्पादों को खरीदने के लिए जनता रूडा(रूरल नॉन फार्म डवलपमेंट एजेंसी) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय दस दिवसीय क्राफ्ट मेला-2015 में टाऊनहॉल में उमड़ पड़ी है।
जयपुर के नौशाद, उनके परिवार एंव करीब 25 कारीगरों द्वारा पीतल एवं व्हाईट मेटल पर हाथ की बारीकी कलाकारी से तैयार बाऊल, लेमन सेट, कटोरे, तोप, रिसायतकाल के हुक्के की याद दिलाते बड़े हुक्के पर रंगो का इस प्रकार से प्रयोग किया गया है कि वे दूर से ही जनता को आकर्षित करते है। हर प्रकार का उत्पाद जनता के हाथों में पंहुचने से पूर्व करीब 5-7 कारीगरों के हाथों से गुजरते हैं।
नौशाद ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में पीतल उत्पाद की कीमतो में दोगुनी वृद्धि होने से इसकी बिक्री पर कुछ असर अवश्य पड़ा है लेकिन इसके प्रति जनता का मोह कम नहीं हुआ है लेकिन लाभ मार्जिन में कमी अवश्य हुई है। पूर्व में राजस्थली में तैयार माल की सप्लाई की जाती थी लेकिन वह अब बंद हो गयी है। जिसका सीधा असर इस कला से जुड़े कारीगरों के जीवन पर पड़ा है। 10 वर्ष पूर्व अकेले जयपुर में जहंा 100 कारीगर काम किया करते थे वह अब घट कर लगभग 20 रह गये है। यह कला अब लुप्त होती जा रही है। भावी पीढ़ी का भविष्य भी इस कला में कोई भविष्य दिखाई नहीं देता है। रूडा के महाप्रबन्धक दिनेश सेठी ने बताया कि इस बार कुछ नये कलाकारों के नये उत्पादों के आने से जनता का मेले के प्रति रूझान बढ़ा है।