मधुमेह रोगी स्वयं का चिकित्सक होगा तभी वह उस पर नियंत्रण पर सकेगा
उदयपुर। देश में मधमेह रोग अब सामान्य बीमारी का रूप ले चुका है। वर्तमान में देश में करीब 70 करोड़ लेाग प्री-डायबिटीक बन चुके है। जिसका मुख्य कारण पिछले कुछ वर्षो में आम आदमी की जीवनचर्या में हुआ परिवर्तन है। यदि मधुमेह रोगी स्वयं का चिकित्सक बनेगा तभी वह अपने रोग पर काबू पा सकेगा।
न्यूट्रीशियन विशेषज्ञ डॉ. नितिशा शर्मा ने उपरोक्त बात रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में आयोजित ‘मधुमेह में पोषण की भूमिका ‘विषयक वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहीं।उन्होंने कहा कि शरीर में पायी जाने वाली लगभग सभी बीमारियों पर काफी हद तक नियंत्रण खान-पान से किया जा सकता है। शरीर के वजन का गिरना या अप्रत्याशित रूप से बढऩा, बार-बार भूख लगने पर मधुमेह की ब्लड या यूरीन के जरिये जांच अवश्य करा लेनी चाहिये।
डॉ.शर्मा ने कहा कि मधुमेह रोगी को कार्बोहाईडे्रड युक्त खाना खाने पर त्रियंत्रण करना चाहिये। प्रतिदिन अधिकतम 300 मिग्रा दूध लेना चाहिये। सामान्य व्यक्ति को लंच एवं डीनर के बीच कम से कम 4 घंटे का अन्तराल रखना चाहिये। यदि मधुमेह रोगी प्रतिदिन 3 से 4 करेले का ज्यूस, मेथीदाना, जामुन का सेवन करें तो मधुमेह पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष डॉ.बी.एल.सिरोया ने बताया कि बार-बार बहुत अधिक खाना खोन की ईच्छा होने पर पॉली फेजिया, बार-बार पेशाब आने की शिकायत होने पर मध्ुामेह बीमारी की जांच अवश्य करा लेनी चाहिये। क्लब सचिव डॉ. नरेन्द्र धींग ने बताया कि 29 जनवरी को क्लब द्वारा निकटवर्ती गांव लखावली स्थित विद्यालय के करीब 800 बच्चों को कॉपिंया वितरीत की जाएगी। बैठक के प्रारम्भ में श्रीमती राजेन्द्र चौहान ने ईश वंद्रना प्रस्तुत की। श्रीमती इन्दिरा धींग ने डॉ.नितिशा का उपारना ओढ़ाकर स्वागत किया। अंत में डॉ. नरेन्द्र धींग ने धन्यवाद ज्ञापित किया।