श्रीमदभागवत में श्रीकृष्ण ने उठाया गोवर्धन पर्वत
उदयपुर। मंदिर जाओ तो पवित्र मन से जाओ। मन पवित्र है तभी प्रभु की भक्ति में लगेगा और ऐसा लगेगा कि सीधे ठाकुरजी की शरण पहुंच जाओगे। फिर ठाकुरजी तुम्हारे और तुम ठाकुरजी के। बस फिर सांसारिक कष्टों से स्वतः ही मुक्ति मिल जायेगी।
यह बात पंडित दुर्गेश शास्त्री ने ठोकर चौराहा पर स्थित रेलवे ग्राउण्ड मे आयोजित भागवत कथा के पांचवे दिन कही। प्रवचन मे दुर्गेश शास्त्री ने गाय माता के महत्व को समझाते हुए भक्तो से कहा कि हमारे भारत वर्ष मे कई मां हैं जिनकी कृपा से धरती पर धर्म टिका हुआ है। वैसे ही गउ माता के अन्दर 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। गाय की पूजा कर लो तो 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा अपने आप हो जाएगी।
पंडित शास्त्री ने भागवत शुक द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई जा रही भागवत को आगे बढा़ते हुए ब्रज में कान्हा का जन्म, कंस द्वारा कृष्ण को भेजे गये अनेकानेक राक्षसों का कृष्ण द्वारा लीलाएं करके वध करना, ग्वालों-गोपियों के साथ खेल, मैया यशोदा को अपनी लीलाओं से तंग करना, माखन चोरी, बारिश के लिए ब्रजवासियों द्वारा भगवान इन्द्र के लिए की जाने वाली पूजा को बन्द करवाकर गिरिराज भगवान की पूजा करवाना, गोवर्धन पूजा, 7 वर्ष के कान्हा द्वारा 7 कोस के पर्वत को 7 दिन तक अपनी सबसे छोटी अंगुली पर उठाना आदि का वर्णन किया। कथावाचन के साथ भगवान गिरिराज को छप्पन भोग, गोवर्धन पूजा का मंचन भी किया गया। पांचवे दिन की कथा मे गोवर्धन पुजा एवं छाप्पन भोग के मुख्य यजमान आर.के. सोमानी, एमडीएस परिवार रहे वही डॉ. पुनम पोसवाल, पंकज पालोद, आर. के. सोमानी, अशोक शाह, संदीप भटनागर एवं मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष रोबिन सिंह अतिथि थे।