पीएमसीएच में सफल ऑपरेशन
उदयपुर। शरीर के किसी अंग में जरा सा दुख या असहजता किसी मनुष्य के लिये परेशानी का सबब बन जाती है। किसी व्यक्ति के हदय और आमाशय के साथ कई अंग शरीर के अन्य हिस्से में स्वैत: शिफ्ट हो जाये तो क्या हो। ऐसे ही एक केस का सफलतापूर्वक निशुल्कल ऑपरेशन कर पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल के चिकित्सककों ने निराकरण किया।
पीएमसीएच के सर्जरी विभाग के हेड डॉ. केसी व्यास को बताया कि वनोगडा़ कुम्भलगढ़ निवासी किशनलाल (28) की जांच करने पर पता चला कि उसके आमाशय डायफ्राम में छेद होने से वह बांयी ओर छाती में चला गया। भोजन नली और आमाशय का जीई मुड़ जाने की वजह से खाने-पीने एवं निगलने में असमर्थ था। उसे तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी गई। लेप्रोटॉमी (पेट खोलने पर) करने पर पता चला कि इस युवक का हृदय बांई से दांई ओर खिसक गया। यही नहीं इस युवक का आमाशय भी नियत स्थान से खिसककर छाती में चला गया। इसके साथ युवक की तिल्ली भी उपर खिसक गई। लंबे समय तक पेट और सीने में दर्द महसूस करने के बाद जब यह युवक इलाज के लिये यहां भर्ती हुआ तो चिकित्सक भी महत्वपूर्ण अंगों की बदली जगह देखकर आश्चर्यचकित रह गए। हालांकि चिकित्सकों ने युवक के ऑपरेशन का निर्णय लेते हुए अपना काम शुरू किया। चिकित्सकों ने ग्रस्ट्रोएसोफियल जक्शन नेक्रोसिस नामक हिस्से को काटकर भोजन नली एवं अमाशय को वापस जोडा़। इसके अलावा सभी अंगों को अपने नियत स्थानों पर शिफ्ट किया। इस स्थिति को डायाफ्रेगमेटिक हर्निया कहा जाता है।
लगभग पांच घण्टे तक चले इस ऑपरेशन को अंजाम दिया डॉ के.सी व्यास, डॉ. गौरव वधावन, डॉ. बीएम सोनी, डॉ. प्रकाश औदित्य, डॉ. वीरेन्द्र, डॉ. अनीता, डॉ. केजी, अजय चौधरी, बिन्दू की टीम ने। ऐसे ऑपरेशन पर लगभग डेढ़ से पांच लाख तक का खर्चा आता है, लेकिन पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल ने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए यह ऑपरेशन निशुल्क किया गया है। प्रिसिंपल एवं नियत्रंक डॉ. एसएस सुराणा पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल के आईसीयू में भर्ती पेशे से खेतीहर किसान किशनलाल को लंबे समय तक इस बात का अहसास तक नहीं था। आर्थिक रूप से कमजोर किशनलाल का जब पूरी तरह से निशुल्क ऑपरेशन किया गया तो मानों उसे फिर से सही मायनों में नया जीवन जीने का मौका मिला और अब वो पूरी तरह से स्वस्थ्य और खुश है। चिकित्सकों की माने तो ऐसे मामले मेडिकल इतिहास में दुर्लभ ही होते हैं लेकिन चिकित्सकों की कडी़ मेहनत के चलते न केवल किशनलाल नाम के इस व्यक्ति को दुर्लभ बीमारी से निजात दिलाई है।