आईआईएमयू और साहित्य अकादमी का उदयपुर लीप डे लिटफेस्ट 2015
उदयपुर। भारतीय प्रबंधन संस्थान उदयपुर और सहित्य अकादमी के तत्वावधान में उदयपुर लीप डे लिट फेस्ट का आयोजन 28 फरवरी को हुआ। संस्थान के साहित्य क्लब द्वारा आयोजित उदयपुर लीप डे लिटफेस्ट का यह तीसरा संस्करण है।
कार्यक्रम को नयी उचाईयों पर ले जाते हुए मशहूर नृत्यांगना और पद्म भूषण मल्लिका साराभाई, प्रसिध गायक और कलाकार पीयूष मिश्रा, फेकिंग न्यूज़ के संस्थापक राहुल रोशन, प्रसिद्द पत्रकार और नीला स्कार्फ़ की लेखक अनुसिंह चौधरी, सेंट स्टीफेंस कॉलेज की अंग्रेजी की प्रोफेसर, संगीतकार एवं बुक ऑफ़ गार्जियंस ट्राइलॉजी की लेखक गीति चंद्रा एवं इमोशनल फूल्स के संस्थापक संदीप झा ने दर्शकों के साथ अपने अनुभव बांटे और उनके हर सवाल का जवाब दिया। इस संस्करण की थीम ‘ब्यूटी इन केओस’ अर्थात ‘कोलाहल में खूबसूरती’ थी और अतिथियों ने इसे पूर्ण रूप से जाग्रत कर दिया।
कार्यक्रम के पहले सत्र की शुरुआत गीतकार पियूष मिश्रा ने अपनी धुनों के साथ की एवं हारमोनियम की धुनों पर अपनी कई कृतियों को सुनाया। बीच-बीच में चुटकी लेते हुए उन्होंने अपनी ज़िन्दगी के कई अनुभव बांटे एवं दर्शकों की फरमाइशों और सवालों को पूरी तरह से संतुष्ट किया। पहले ही सत्र में इस चुटीले प्रदर्शन ने दर्शकों को मोहित कर दिया और उनकी आगे के सत्रों से महत्वाकांक्षाएं काफी उन्नत हो गयी। पदम्भूषण मल्लिका साराभाई ने हलके अंदाज़ में संक्षिप्त नाट्य करके अपने सत्र की शुरुआत की जिससे पहले ही पल में समक्ष दर्शकगण उनके साथ हो लिए। उस हलके से नाट्य से धीरे-धीरे मल्लिका ने विषय वस्तु को यौन उत्पीड़न से जोड़ा एवं सम्पूर्ण माहौल को संजीदा बना दिया। गौतमी और इंद्र पर एक संक्षिप्त नाट्य करते हुए मल्लिका ने बताया कि प्राचीनकाल से महिलाओं को गौण दृष्टि से देखा गया है और आज भी कैसे ये पुरुष एवं महिलाओं दोनों की मानसिकता में सुदृढ़ है। उन्होंने महिला सुरक्षा एवं भावनाओं को काफी संजीदा रूप में दर्शाया। उन्होंने इस व्यवहार को भी सक्षम रूप से इंगित किया कि आज भी बेटियों को सराहने के लिए उन्हें बेटे की उपाधि दी जाती है, क्या यह लैंगिक समरूपता के परिपेक्ष्य में वाकई में उचित है? उन्होंने अपने विशिष्ठ अंदाज़ में पुरुषों को भी समाज में औरतों से विभेद करती कुरीतियों को अप्रचलितकर ने की और प्रोत्साहित किया।
दूसरा सत्र कथा-लेखन पर आधारित था जिसकी शुरुआत अनुसिंह चौधरी ने अपनी आने वाली किताब का एक भावनामयी भाग सुनाकर की और बताया की कैसे माँ बनने के बाद उनकी ज़िन्दगी में बदलाव आया और उन्होंने पत्रकार की नौकरी छोड़कर अपने बच्चों की देखभाल में वक़्त देना शुरू कर दिया। उस समय उन्होंने ब्लॉग्स के साथ लिखने की शुरुआत की और इस तरह वे लेखन के क्षेत्र में आई और नीला स्कार्फ के साथ काफी प्रसिद्द हुई। अपनी बातों में उन्होंने अभ्यास के महत्व पर भी काफी ज़ोर दिया। गीति चंद्रा ने अपनी पढाई और करियर के बारे में बात करते हुए बताया कि कैसे मार्क्स की अति-महत्वता के कारण हमें हमारी दिलचस्पी से दूर रखा जाता है। उन्होंने कहा कि कुछ भी ऐसा नहीं है जिसमें रूचि न ली जा सके, अरुचि सिर्फ हमारे अंदर निहित होती है। सभी में एक लेखक होता है और अधिकतर प्रथम कहानियाँ लेखकों की वास्तविक ज़िन्दगी से प्रेरित होती हैं। पारिवारिक जीवन में लेखन के लिये समय प्रबंधन का कितना महत्व है, वो भी गीति ने अपनी वार्ता में बताया। एक लेखक के तौर पर उन्होंने कहा कि लिखते वक़्त हमेशा अपनी ऑडिएंस को ध्यान में रखना चाहिए। प्रश्नोत्तरों में प्रकाशन, लेखन की विषय वस्तु और व्यापारीकरण जैसे विषय उठे जिनका दोनों वक्ताओं ने काफी सहज रूप से उत्तर दिया। तीसरा सेशन व्यंग्य एवं हास्य के झरोखे पर निर्धारित था जिसमे फेकिंग न्यूज़ के संस्थापक राहुल रौशन और एमोशनल फूल्स के संस्थापक संदीप झा ने भाग लिया। संदीप ने एक बच्ची की कहानी सुनाकर ब्यूटी इन केओस को बताया जिसमे वो एक कैंडी के लिए अपने चप्पलों को दे देती है। फिल्म-मेकिंगकोउन्होंने एक कला एवं उद्यमी मौके के रूप में बताया और कहा कि वे फिल्में बनाने के लिए लिखते हैं और वास्तविक ज़िन्दगी से एक बिंदु लेकर कल्पना करते हैं और उसे कहानीकेरूपमेंबुनतेहैं | राहुल ने बड़े चुटीले अंदाज़ में अपनी आईआईएम की ज़िन्दगी के बारे में बताया और एक पत्रकारिता के छात्र को प्रबंधन पढ़ने में क्या दिक्कतें आती हैं, हँसते-हँसाते बताया। उन्होंने अपनी व्यंग्य की विधा को काफी अच्छे से प्रदर्शित किया और अपनी बातों को उनके करियर ग्राफ के इर्द-गिर्द पिरोते हुए श्रोताओं को मनोरंजन पूर्वक अपने अनुभवों से अवगत कराय।
शुरुआत से आखिर तक वक्ताओं ने सभी को बांधे रखा और कार्यक्रम को सफलता प्रदान की। एजुकेशन पार्ट्नर आर्या पब्लिकेशन्स, निरंजन पब्लिकेशन्स, नॅशनल बुक ट्रस्ट और अशोका सिनेमास ने कार्यक्रम को पूर्ण करवाने में सराहनीय सहयोग दिया। कार्यक्रम के समापन में सभी वक्ताओं को धन्यवाद दिया गया और श्रोताओं ने अगले वर्ष फिर मिलने के वादे के साथ विदा ली।