वर्तमान में हो रहा है 30 प्रतिशत सीवेज का उपचार
उदयपुर। उदयपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में हिंदुस्तान जिंक के लगाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से उदयपुर के शत प्रतिशत सीवेज का उपचार करने पर विचार किया जा रहा है। फिलहाल यह 30 प्रतिशत है।
हिन्दुस्तान जिंक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेशन पवन कौशिक ने बताया कि ‘भारत में ‘स्वच्छ भारत’ से ही ‘स्मार्ट सिटी’ बनाये जा सकते हैं लेकिन जहां देश में आधे से अधिक जनसंख्यां खुले में शौच के लिए जाती हो वहां स्मार्ट सिटी की परिकल्पना कैसे संभव होगी। इसके लिए स्वच्छ अभियान अपनाना अत्यावश्यक है। इसके अभाव में स्मार्ट सिटी बनना असंभव है। खुले में शौच की समस्या शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा चिंताजनक है।
राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार कुल स्वच्छता सुविधाओं का 31 प्रतिशत में से भारत की ग्रामीण जनसंख्या केवल 21 प्रतिषत स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग कर रही हैं। बांग्लादेश और ब्राजील जैसे देशों में उनकी जनसंख्या का केवल 7 प्रतिशत खुले में शौच करता है। चीन में जनसंख्या का केवल 4 प्रतिशत हिस्सा खुले में शौच करता है।
हिन्दुस्तान जिंक ने राजस्थान सरकार के साथ 20 मिलियन टन प्रतिदिन क्षमता वाले पहला प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया है जो उदयपुर के 30 प्रतिशत मल का उपचार कर रहा है। इस परियोजना पर 170 करोड़ रुपये खर्च किये है। अब यह प्लांट पूरी तरह कार्यरत है जिससे झीलों की साफ-सफाई एवं स्वच्छता में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। हिन्दुस्तान जिंक का प्रयास है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के विस्तार से उदयपुर में 100 प्रतिशत घरेलू मल का उपचार किया जाये।
उदयपुर में प्रतिदिन 70 मिलियन टन मल उत्पन्न होता है तथा वर्तमान में हिन्दुस्तान जिंक का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रतिदिन 20 मिलियन लीटर मल के उपचार की क्षमता रखता है। कौषिक ने यह भी बताया कि कंपनी राजस्थान सरकार के साथ मिलकर स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से उदयपुर में शत प्रतिशत घरेलू मल का उपचार करने पर चर्चा चल रही है।
हिन्दुस्तान जिंक ने राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में 40,000 घरों में शौचालय तथा 623 सरकारी स्कूलों में शौचालय बनाने की जिम्मेदारी उठायी है। हाल ही में, हिन्दुस्तान जिंक ने 3055 आंगनवाड़ी केन्द्रों को बाल केन्द्र ‘खुशी’ अभियान के तहत गोद के लिए राजस्थान सरकार के साथ एक समझौते के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। पौष्टिक एवं आधारभूत सुविधाओं में सुधार के साथ-साथ 1000 आंगनवाडी केन्द्रों में भी बच्चों के लिए शौचालय बनाएं जाएंगे। राजस्थान के चार जिलों में अब तक 11,425 घरेलू शौचालयों का निर्माण हो जा चुका है जिसमें से 2700 उदयपुर में, 6870 भीलवाड़ा में, 1570 चित्तौडगढ़ में तथा 285 राजसमंद में है। हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेषन पवन कौषिक ने बताया कि 170 ग्रामीण सरकारी स्कूलों में भी शौचालय बनाये जा चुके हैं।
गत वर्ष प्रधानमंत्री के ‘स्वच्छ भारत’ अभियान के तहत हिन्दुस्तान जिंक ने ‘मर्यादा’ अभियान की शुरूआत की थी जिसके माध्यम से राजस्थान के ग्रामीण क्षे़त्रों में आधारभूत विकास, व्यक्तिगत एवं संस्थाओं में स्वच्छता के लिए जागरूकता पर जोर दिया जा रहा है। ‘मर्यादा’ अभियान का प्रमुख उददेष्य स्कूलों, पंचायतों, ग्रामीण विचारकों, ग्रामीण महिलाओं तथा विशेष तौर पर युवतियों के खुले में शौच से मुक्ति तथा साफ एवं स्वच्छता की और ध्यान देना है। स्मार्ट शहर परियोजना में उदयपुर का भी चयन किया गया है जहां हिन्दुस्तान जिंक का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट महत्वपूर्ण साबित होगा।