उदयपुर। कॉकलियर इम्प्लांट के तीसरे चरण में पेसिफिक मेडिकल काँलेज एंड हाँस्पीटल में सात बच्चों का सफल आँपरेशन कर कॉकलियर इम्प्लांट प्रत्यारोपित किए गए। सुनने और बोलने में अक्षम ये सातों बच्चें छह महीने में बोलने एवं सुनने लगेंगे।
पीएमसीएच के चेयरमैन राहुल अग्रवाल ने बताया कि जन्म से ही सुनने और बोलने में अक्षम इन सातों बच्चों के मां-बाप की खुशी का अब ठिकाना नहीं है क्योंकि अब इन बच्चों की किलकारियों को वह सुन भी सकेंगे और बातों को भी अपने बच्चों को सुना भी सकेंगे। ये सभी बच्चे डेढ़ से साढे चार साल की आयु वर्ग के है। इन सभी सात बच्चो के सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया भोपाल के डॉ. एसपी दुवे, पीएमसीएच के डॉ. पीसी अजमेरा, डॉ. राजेन्द्र गोरवाड़ा, डॉ. हेमेन्द्र बामनिया, डॉ. मनीष त्यागी एवं डॉ. प्रकाश औदित्य की टीम ने।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हास्पीटल के ईएनटी विभाग के हेड डॉ. पीसी अजमेरा ने बताया कि 21 दिन के अंतराल में अच्छी तरह से स्थापित होने के बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों द्धारा इस इम्प्लांट को स्वीच आँन किया जाएगा। इस सबके बाद दो साल तक इन सातों मरीजों को स्पीच थैरेपी के माध्यम से बोलने और सुनने में सक्षम बनाया जाएगा। साथ ही बच्चो के अभिभावकों को भी कांउसिंलिग के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस तकनीक के आँपरेशन के दौरान न्यूनतम 6 लाख से अधिकतम 12 लाख रुपये तक का खर्च आता है लेकिन सभी सातों मरीजों को पेसिफिक मेडिकल काँलेज एंड हॉस्पीटल की ओर से निशुल्क और रियायती दरो पर काँकलियर इम्प्लांट प्रत्यारोपित की गई हैं। गौरतलब है कि अब तक पीएमसीएच 18 बच्चों को काँकलियर इम्प्लांट के माध्यम से सुनने की सौगात दे चुका है। इसी कडी में आगामी अक्टूवर माह में आठ मरीजों का निशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा।
कैसे उपयोगी हैं काँकलियर इम्प्लांट तकनीक : काँकलियर इम्प्लांट तकनीक में आँपरेशन के दौरान कान के अंदर कोकलिया पार्ट पर सर्जरी की जाती हैं। सर्जरी में मस्तिष्क से इम्प्लांट जोडा जाता है इसका दूसरा भाग प्रोसेसर कान के पीछे फिट किया जाता है। इम्प्लांट के इलेक्टोड का सम्बन्ध कान के बाहर लगाये जाने वाले प्रोसेसर से होता है। दोनों चुम्बक से जुडे रहते है। प्रोसेसर से ध्वनि उर्जा इम्प्लांट में पहुंचती है यहां इलेक्ट्रोसड इस उर्जा को इलेक्टोनिक उर्जा में बदल कर इम्पल्स मस्तिष्क का भेजता है जिससे बच्चों में सुनने की क्षमता का विकास होता है साथ ही स्वीच थैरेपी के माध्यम से वे बोलने लगते हैं।