पांच हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने निराहार रह किए उपवास
क्षमापना दिवस के रूप में मनाया संवत्सरी महापर्व, खमतखामणा आज
उदयपुर। शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने श्रावक-श्राविकाओं को संवत्सरी महापर्व पर कहा कि संवत्सरी महापर्व आत्म निरीक्षण का पर्व है। गत वर्ष में किए गए कार्यों का आत्मावलोकन करें तथा प्रतिक्रमण के अवसर पर गत वर्ष में आई राग-द्वेष ग्रंथि को समाप्त करें। संवत्सरी पर पांच हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने निराहार रहकर उपवास किए। शुक्रवार को खमतखामणा की जाएगी। संवत्सरी पर गुरुवार को श्रावक-श्राविकाओं की सुविधा के लिए बाहर चौक में बड़ी एलसीडी की व्यवस्था की गई ताकि उन्हें आराम से प्रवचन का लाभ मिल सके।
वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्यूषण के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व पर क्षमापना दिवस के रूप में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने चंदनबाला का पूर्ण वृतांत का श्रवण कराते हुए ऋजुबालिका नदी के नट पर भगवान महावीर के केवल्य ज्ञान का सुंदर वर्णन भी किया। केवल्य कल्याणक को देवताओं ने भी हर्षोल्लास से मनाया। उन्होंने कहा कि मृत्यु के समय यदि श्रावक क्रोध करता है तो उसे सर्प गति मिलती है। चंडकौशिक को इसलिए सर्प गति मिली। पर्यूषण का मतलब आत्मज्ञान-ध्यान में रहें। मन के घोड़े को सही दिशा में मोड़ें।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि कषायों को हल्का करें। संवत्सरी पर इस बार गर्मी है लेकिन अपने दिमाग को ठंडा रखें। एक-दूसरे को सहन करने की क्षमता एवं समता जरूरी है। जब तक ऐसा भाव नहीं होगा, तब तक विकास नहीं होगा। एक-दूसरे को क्षमा का भाव रखें। सिर्फ संवत्सरी पर ही नहीं वर्ष भर ही ऐसा भाव रखें। मन में गांठ नहीं बांधें। वैर भाव नहीं रखें। क्षमा करने की साधना में भी आगे बढ़ना है।
मुनि सुधाकर ने श्रावकों को मंगल पाथेय देते हुए कहा कि हम जिस रोज अपनी आत्मा के निकट रहते हैं तब पर्यूषण पर्व मनाया जाता हैं। पर्यूषण के आठ दिन एक साधना है, यज्ञ है। उन्होंने संवत्सरी महापर्व की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि संवत्सरी यानि 12 महीनों का एक दिन। संवत्सरी प्रेरणा देता है कि 12 महीनों में जो भी गलतियां की हैं, जो भी परिवर्तन हुए हैं उन्हें दूर करे। उन्होंने गणधर एवं आचार्य परम्परा की भी विस्तृत विवेचना की।
तेरापंथ सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि संवत्सरी पर्व पर सुबह से तेरापंथ भवन में अलसुबह आरंभ हुई ज्ञान की गंगा दिन भर चलती रही। सुबह पौषध के अनुष्ठान हुए। दिन भर सामायिक करने वाले श्रावक-श्राविकाओं की खासी संख्या रही। फत्तावत, महिला मंडल अध्यक्ष चन्द्रा बोहरा, संरक्षक शशि चव्वाण, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष दीपक सिंघवी आदि ने आठ से अधिक तपस्या करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को आध्यात्मिक मंगलकामनाएं प्रदान की।
फत्तावत ने बताया कि पांच हजार से अधिक श्रावकों ने पूर्ण निराहार रहकर उपवास किए। शुक्रवार सुबह सामूहिक रूप से खमत खामणा (क्षमा याचना) कर अपनी तपस्याओं का पारणा करेंगे। आचार्य प्रवरण श्री महाश्रमण के दर्शनार्थ नेपाल जाने वाली स्पेशल ट्रेन का पंजीयन अंतिम चरण में है। संचालन मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने किया। प्रारंभ में तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष चन्द्रा बोहरा, संरक्षक शशि चव्वाण, सोनल सिंघवी एवं बहनों ने मंगलाचरण किया।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने बताया कि आध्यात्मिक रात्रिकालीन प्रतियोगिता के तहत अंत्याक्षरी प्रतियोगिता हुई। आठ ग्रुपों में हुए कार्यक्रम में 40 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। पूरी तरह डिजीटलाइज्ड पावर पाइंट प्रजेन्टेशन पर आधारित अंन्त्याक्षरी के विजेताओं को तेरापंथ सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, उपाध्यक्ष अर्जुन खोखावत, मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता, शांतिलाल सिंघवी, छगनलाल बोहरा, प्रदीप सोनी आदि ने पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में विनोद माण्डोत, अजीत छाजेड़, धीरेन्द्र मेहता, कपिल इंटोदिया ने सफल संचालन में सहयोग दिया।