संग्रहालय का निर्माण, 150 पुरास्थलों के अवशेष देखे जा सकेंगे
उदयपुर। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ परिसर प्रतापनगर में हॉल ऑफ एक्सीलेन्स में विगत आठ दशक की विकास यात्रा का ब्योरा होगा। कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने बताया कि हॉल ऑफ एक्सीलेन्स में ही संग्रहालय में देश के 150 पुरास्थलों के अवशेष देखे जा सकेंगे।
संग्रहालय में राजस्थान, गुजरात सहित विभिन्न पुरास्थलों के अवशेष और सर्वेक्षण रिपोर्ट उपलब्ध होगी। इनमें भी 80 हजार वर्ष पुराने अवशेष आकर्षण होंगे। संग्रहालय का निर्माण अंतिम चरण में है।
अवशेष होंगे विशेष : प्रो.सारंगदेवोत ने बताया कि संग्रहालय में राजस्थान के आहड़, बालाथल, गिलूंड, इसवाल, नठारा की पाल, चन्द्रावती, जवासिया, छतरीखेड़ा, जावर तथा गुजरात के कच्छ सहित विभिन्न स्थानों के अवशेष होंगे। इसमें मिट्टी के बर्तन, लोहे व ताम्बे के उपकरण, भट्टियां, पत्थर के आभूषण, मुद्राऐं, मंगलसूत्र सहित पाषाणकालीन हथियार भी होंगे। कच्छ में खुदाई से प्राप्त हड़प्पा कालीन संस्कृति के अवशेष तथा मुद्राऐं सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होंगी।
इसके अतिरिक्त लौह कालीन संस्कृति से जुडे़ अवशेष जो शोध विद्यार्थियों के लिए काफी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं भी उपलब्ध होंगे। संग्रहालय में बीते पांच हजार वर्ष पूर्व के खनन दस्तावेज भी उस समय की तकनीकों को समझने में सहयोगी होंगे।
सर्वेक्षण रिपोर्ट भी होंगी : बताया गया कि संगहालय में सर्वेक्षण रिपोर्ट भी उपलब्ध होंगी। देश के विभिन्न 150 पुरास्थलों पर किये गये सर्वेक्षण की रिपोर्ट एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाने से शोध विद्यार्थियों को अध्ययन करने वाले विदेशी छात्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण रहेंगी। वे गत हजारों साल से लेकर वर्तमान तक की संस्कृति के निरंतर प्रवाह का अध्ययन कर सकेंगे।
संग्रहालय की विशेषता-प्रदेश में ऐसे बहुत से संग्रहालय है जहां हजारों वर्ष पुराने अवशेष है लेकिन इन अवशेषों के सम्बन्ध में जानकारी देने के लिए पुराविशेषज्ञों का अभाव है। इस संग्रहालय में पुरातत्व विशेषज्ञ की साक्ष्य सामग्रीयों की जानकारी देंगे। शोध विद्यार्थियों को कालक्रम अनुसार पुराविशेषज्ञ सटीक जानकारी उपलब्ध करवायेंगे। बताया गया है कि प्रदेश में यह पहला संग्रहालय होगा जहां पुराविशेषज्ञों द्वारा कालक्रम में प्राप्त अवशेषों की जानकारी दी जायेगी।