उदयपुर। पर्यावरण का ध्यान रखते हुए उदयपुर शहर के संस्कृातिकर्मी विलास जानवे ने पांच दिन गणपति की पूजा के बाद शाम आरती के बाद श्री गणपति की मिट्टी की मूर्ति को घर के बगीचे में बाल्टी में विसर्जित किया।
पुणे के अपने मित्र, कृष्णा काटे से प्रेरित हो कर इस पर अमल करने वाले जानवे परिवार का कहना है कि शहर की झीलें, कुंड, कुएं और बावड़ी में प्रतिमाओं के विसर्जन से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। बाल्टी के जल में विलीन प्रतिमा और निर्माल्य का खाद बाग या गमलों मेंडाला जा सकता है।