बच्चों ने जमकर की खरीददारी
राजस्थान विद्यापीठ विवि में 9 दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले का तीसरा दिन
उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ में राष्ट्री य पुस्तक मेले के तीसरे दिन सोमवार को स्कूली बच्चों का हूजूम उमड़ पड़ा। शहर व आसपास के क्षेत्रों से सैकड़ों स्कूली बच्चों के दल 25 से ज्यादा बसों में सवार होकर सुबह मेले के तय समय से पहले ही पांडाल में पहुंच गए।
बच्चों के साथ अध्यापक तथा कई बच्चों के अभिभावक भी पुस्तक मेले में पहुंचे। बच्चों ने सबसे पहले सभी स्टॉल पर जाकर अपनी पसंद की पुस्तकों की जानकारी ली तथा जो पुस्तकें पसंद आईं उन्हें हाथों-हाथ खरीद लिया। बच्चों ने सबसे सबसे ज्यादा रूचि विज्ञान की पुस्तकों, परी कथाओं, कार्टून कॉमिक्स, सामान्य ज्ञान की पुस्तकों, कम्पास, दूरबीन व अन्य वैज्ञानिक उपकरणों की खरीदारी में दिखाई। अपनी बाल सुलभ जिज्ञासाओं के चलते उन्होंने सवालों की झड़ियां लगाईं तो वहां उपस्थित सभी लोगों का मन मुदित हो गया। वहां मौजूद विशेषज्ञों ने बच्चों के प्रश्नों के जवाब दिए। बच्चों को शिक्षा व उनके कोर्स से संबंधित सीडी व डीवीडी भी खूब पसंद आई। बच्चों के साथ साथ स्कूल के संचालकों ने भी अपने वाचनालयों के लिए किताबों की खरीदारी की।
बच्चों की प्रमुख पुस्तकें : नाव चली, पंतग की कारामात, हाथी की हिचकी, केले का ठेला, अम्मा की साड़ी, नन्हे चूजे के दोस्त, बादलों के साथ एक दिन, नीलोफर की मुस्कान, गांव का बच्चा, मेरा स्कूल, कभी न उजड़े प्यारा जंगल, आओ स्कूल चलें, खेल-खेल में गाएं गीत, तीसरी दुनिया के लोग, गुरू दक्षिणा, रेत का समुद्र, नन्हा क्रांतिकारी आदि।
कथालोक में बिखेरेंगे कहानी के रंग : मेले के समन्वयक डॉ. कुंजन आचार्य ने बताया कि पुस्तक मेले में साहित्यिक गतिविधियों के तहत मंगलवार से बड़े आयोजन होंगे। मंगलवार शाम 6 बजे प्रताप नगर स्थित राजस्थान विद्यापीठ सभागार में कथालोक कार्यक्रम होगा। इस के तहत दिल्ली से कथाकार रजनीकान्त शुक्ला तथा मनोहर चमोली मनु शिरकत करेंगे। स्थानीय कथाकारों में डा. राजेन्द्र मोहन भटनागर, डा ज्योतिपुंज, ज्यौत्स्ना इन्द्रेश, डा नीता कोठारी तथा अरविन्द आशिया कहानियों का पाठ करेंगे तथा अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। 7 अक्टूबर को आओ विज्ञान पर आधारित एक कहानी लिखें विषय पर बच्चों को कहानी लिखना सिखाया जाएगा।
कबीर ज्ञान प्रकाशन केन्द्र का स्टॉल : झारखंड के गिरीडीह से के साध्वी ज्ञानानंद आश्रम के प्रकाशन कबीर ज्ञान प्रकाशन केन्द्र के नितेश कुमार ने बताया कि सामाजिक जागरूकता और सामाजिक समरसता के मकसद से पुस्तक मेले में वे कबीर पंथ की पुस्तकों का वृहद व दुर्लभ संकलन लेकर आए हैं। इसमें संत कबीर के उपदेशों से लेकर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने दोहों की पुस्तकें तथा सीडी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि संत कबीर की पुस्तकों को उनका आश्रम बिना लाभ-हानि के सिद्धांत पर पुस्तकों को प्रकाशन व वितरण करता है। इसीलिए सभी पुस्तकों पर मूल्य की जगह सहयोग राशि का उल्लेख किया गया है। यह राशि पंथ के प्रचार के साथ ही दीन-हीन व सर्वहारा वर्ग की सेवा में खर्च होती है। यहां संत कबीर के दोहों की छोटी उपयोगी पुस्तिकाओं के साथ ही इस विषय पर शोध करने वालों के लिए भी ज्ञान का भंडार है। इस स्टॉल पर बीजक, बीजक टीका, गीता ज्ञान दर्पण, साखी दर्पण, ज्ञान भजनावली, गुरू ने पठाया चेला आदि विषयों पर पुस्तकें पठनीय हैं।
शब्दों का इंजीनियर : संध्या प्रकाशन के डॉ. आलोक शर्मा अपनी पत्नी रीता शर्मा के साथ अपनी विशिष्ट पुस्तकों के लेकर आए हैं। मध्यप्रदेश के डायरेक्टर ऑफ इडस्ट्रियल हैल्थ के पद से रिटायर हुए पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर शर्मा ने इन पुस्तकों में उन्होंने प्रकृति, आध्यात्म और दैनंदिन जीवन के कई सामान्य विषयों को विशिष्ट अंदाज में रेखांकित किया है। सबसे खास बात ये है कि ये अपने प्रकाशन की पुस्तकें खुद लेकर आए हैं। सिलिकोसिस नामक लाइलाज बीमारी से पीड़ित एक आदिवासी की कथा-इडला, एक वृक्ष की आत्मकथा, मैं लौटूंगा, अग्नियात्रा, जिस्म, रानी, सुख के पार आदि पुस्तकें पाठकों ने खूब पसंद की है। शर्मा ने बताया कि अपनी पुस्तकों से होने वाली आय को वे गरीबों के लिए खर्च करते हैं। अपनी पिछली पुस्तकों से हुई आय से उन्होंने एक टीबी अस्पताल खोला।