तेरापंथ के दो शासन श्री मुनिवृंदों का संत समागम आनंद नगर में
उदयपुर। तेरापंथ के वरिष्ठ संत शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि असहिष्णुता के नाम पर देश को बांटने वाले कुचक्रों से दूर रहना चाहिए। ईशनिंदा से दूर रहकर समाज में जीने की जरूरत है। भारत का आदर्श वसुधैव कुटुम्बकम रहा है। कतिपय शक्तियां समाज को बांटने में लगी हुई हैं। बांटने का सबसे बड़ा हथियार धर्म को मान लिया गया है। यह राष्ट्रीय एकता के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
वे रविवार को आनंद नगर स्थित तातेड़ निवास पर नाथद्वारा में चातुर्मास कर वहां से विहार कर यहां पहुंचे शासन श्री मुनि हर्षलाल के साथ संत समागम समारोह को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व सुबह शासन श्री मुनि हर्षलाल एवं यशवंत मुनि के आनंद नगर पहुंचने पर शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने सहवर्ती संतों मुनि सुधाकर एवं मुनि दीप कुमार के साथ तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, तेयुप अध्यक्ष दीपक सिंघवी व अन्य कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों ने भव्य अगवानी की।
मुनि राकेश कुमार ने कहा कि कहीं से भी बड़े हुए लेकिन जैन दीक्षित होने के बाद वे भाई हो जाते हैं। 27 चातुर्मास के दौरान मुनि हर्षलाल का जो सहयोग रहा, वह अप्रतिम है। मैं राष्ट्रपति से मिलने जाता, पीछे से नियमित व्याख्यान का काम यही संभालते। उन्होंने स्वरचित गीतिका हर्ष मुनि के आगमन से स्वागत सौ सौ बार.. भी सुनाई।
शासन श्री मुनि हर्षलाल ने कहा कि यह मेरे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि मुनि राकेश कुमार के दर्शन हुए। आचार्य तुलसी के उदयपुर में हुए मर्यादा महोत्सव के दौरान राकेश मुनि से भेंट हुई। इसके बाद 27 चातुर्मास एक साथ किए। दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, अहमदाबाद में काफी ज्ञान प्रभावना की। मेवाड़ हो या महाराष्ट्र, हर जगह व्यसनमुक्ति, अणुव्रत को फैलाया।
मुनि सुधाकर ने कहा कि समाचार पत्रों में निरंतर आ रहा है कि भगवान गणेश पर अभद्र टिप्पणी की गई है। भगवान गणेश की प्रतिमा हमें बहुत सीख देती है। सिर इतना बड़ा जिससे उंचा सोचने की, छोटी आखों से जीवन को परखने, समझने के लिए सूक्ष्म दृष्टि के विकास की, बड़े कान से ज्यादा सुनने की, छोटे मुंह से कम बोलने की तथा बड़े पेट से हर बात को हजम करने की प्रेरणा मिलती है। इससे दूसरों के प्रति सहनशील बनेंगे। उन्होंने कहा कि संत से संत मिलते हैं तो ज्ञान की बातों का प्रसार होता है। अनेकांत दर्शन एक होते हुए दो तथा दो होते हुए भी एक है। मुनि राकेश कुमार तथा मुनि हर्षलाल के 27 चातुर्मास एक साथ करने की बात पर उन्होंने कहा कि यह प्रेरणा लेने वाली बात है कि आज देवरानी-जेठानी एक घर में 27 वर्ष तक नहीं रह सकती।
मुनि यशवंत कुमार ने कहा कि कहने को दो शासन श्री मुनिवृंदों का मिलन हो रहा है लेकिन दो आत्माओं का कभी मिलन नहीं होता। राकेश मुनि संतों का निर्माण कर रहे हैं और उनके सान्निध्य में संतों में विद्वता बढ़ रही है। इस अवस्था में भी दोनों संतों का खुद का काम खुद करने की ललक रहती है। दोनों जहां रहे, वहां की कायापलट कर दी। कोलकाता हो या नई दिल्ली या बेंगलुरु।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि तेरापंथ एक नंदन वन है जिसमें तरह तरह के पुष्प खिले हैं। जब भी इनकी बात होती है तो मुनि राकेश कुमार और मुनि हर्षलाल का नाम आता है। आज इन दोनों संतो के बीच कोई भी संत नहीं है। उम्र में लगभग समान होते हुए दोनों ज्ञान का प्रसार कर रहे हैं।
तेरापंथ सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि मेवाड़ का सौभाग्य है कि वर्ष में करीब 10 माह तक किन्हीं न किन्हीं साधु-संतों का सान्निध्य मिलता रहता है। आज सुबह यहां 11 वर्ष बाद दोनों शासन श्री मुनि संतों का ऐतिहासिक मिलन हुआ जो सिर्फ तेरापंथ में ही संभव है।
तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने कहा कि दो मुख्य धाराओं का मिलन यहां हो रहा है। परिषद ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ हरसंभव मार्ग सेवा में सहयोग किया है और आगे भी करती रहेगी।
कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष चन्दा बोहरा, नाथद्वारा से आए मंजू मूथा, सुभाष सामोता, कमलेश धाकड़ आदि ने भी विचार व्यक्त किए। इस दौरान बजरंग श्यामसुखा एवं समूह ने दो संतो के मिलन को देखे… सुंदर गीतिका प्रस्तुत की। मंगल गीतिका शशि चव्हाण ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का सफल संचालन तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने किया। आभार तेरापंथ युवक परिषद के पूर्व अध्यक्ष लादूलाल मेड़तवाल ने व्यक्त किया।