जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक कान का ध्यान रखना जरूरी
उदयपुर। जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक कान का ध्यान रखना जरूरी है। जरा सी गलती बहुत भारी पड़ सकती है। यदि समय पर ध्यान दिया जाए तो मूक एवं बधिर बच्चा ईलाज मिलने पर पर वह बोल एंव सुन सकता है।
यह कहना था कि गीताजंली मेडिकल कॉलेज के हियरिंग केयर एंव स्पीच थैरेपी विशेषज्ञ डॉ.गौरव शर्मा का, जो रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में आयोजित हियरिंग केयर एंव स्पीच थैरेपी विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि बच्चें के भाषा सीखने की उम्र 3 से 5 वर्श होती है। यदि इस दरम्यान वह बोल नहीं पाता है तो उसे स्पीच थैरेपी दिलानी चाहिये। जन्म लेते ही अब बच्चें के सुनने का टेस्ट संभव हो गया है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि 60 वर्ष पार व्यक्तियों को सुनने में यदि परेशानी होती हो उनका हियरिंग टेस्ट कराना जरूरी है। अमेरीका में तो इस उम्र के लोगों के कम सुनने की स्थिति में उनको कान में मशीन लगाना जरूरी होता है। कम सुनने वालों,मन्द बुद्धि,सेरेब्रल पल्सी, लकवा,कटे-फटे होंंठ,पुरूष का महिला की आवाज में ओर महिला का पुरूष की आवाज में बोलना,गले के कैंसर के रोगी, हकलाना आदि अनेक प्रकार की व्याधियों वाले बच्चों,महिला एवं पुरूष को हियरिंग एंव स्पीच थैरेपी दे कर उनका उपचार किया जा सकता है।
इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष गजेन्द्र जोधावत ने बताया कि यदि समय पर इस प्रकार के रोगियों को उपचार मिल जाए तो वे आरामदायक एवं सुकून भरा जीवन जी सकते है। सचिव सुभाष सिंघवी ने बताया कि रोटरी क्लब उदयपुर एंव विज़न फाउण्डेशन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को प्रात: 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक नेत्र रोग शिविर आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर सहायक प्रान्तपाल पी.एल.पुजारी, पदम दुगड़, राकेश माहेश्वरी, दिलीप शाह, रचना शाह, कांता जोधावत सहित अनेक सदस्य मौजूद थे।