हस्तशिल्प मेले की बिक्री 32 लाख पार
उदयपुर। ग्रामीण गैर-कृषि विकास अभिकरण रूडा एवं विकास आयुक्त हस्तशिल्प भारत सरकार नईदिल्ली की ओर से टाउनहॉल में आयोजित किये जा रहे दस दिवसीय मेले में देश के विभिन्न कोनों से आकर हस्तशिल्पियों एवं दस्तकारों द्वारा लाये गये उत्पादों को जनता द्वारा इस कदर पसन्द किया जा रहा है कि पिछले पंाच दिनों में हस्तशिल्प मेला पूरे परवान पर चढ़ चुका है।
रूडा के उप महाप्रबन्धक दिनेश सेठी ने बताया कि मेले में अब तक विभिन्न उत्पादों की बिक्री 32 लाख पार हो चुकी है। जनता दस्तकारों द्वारा तैयार किये गये उत्पादों को पसन्द किया जा रहा है। ये चलने में मजबूत एवं दाम में काफी सस्ते है।
हरियाणा के पलवल जिले से आये यादराम ने बताया कि टेराकोटा मिट्टी एवं पत्थर के मिश्रण से बनने वाले हस्तशिल्प उत्पाद दिखने में आकर्षक एवं अन्य मिट्टी की तुलना में चलने में मजबूत होते है। गत 10 वर्ष पूर्व इस जिले में टेराकोटा का काम करने वाले मुश्किल से 5-6 परिवार हुआ करते थे लेकिन इन 10 वर्षो में जब से मिट्टी के सकोरे एवं रोजमर्रा में काम आने वाले मिट्टी के कुल्हड़ चलन से बाहर हुए तब से उनका स्थान डिस्पोजल उत्पादों ने लिया और उस समय से ही इस गांव में टेराकोटा के काम करने वाले परिवारों की संख्या में 10 गुना वृद्धि हो गयी।
यादराम ने बताया कि इस कार्य को छोडक़र गये सभी परिवार पुन:पुश्तैनी काम में स्वरोजगार हेतु लौट आयें। इस मेले में यादराम टेराकोटा के फ्लावर पॉट,रंगोली के बाउल,भगवान की मूर्तियंा, तबले, मुड्डी की डिजाईन वाले बैठक ले कर आये है जिन्हें जनता द्वारा बेहद पसन्द किया जा रहा है। टेराकोटा उत्पादों ऑयल पेट,गोल्ड,कॉपर एवं मेटल पाउडर से तैयार किया जाता है।
उन्होंने बताया कि इस कारोबार में कभी ऑफ सीजन नहीं होता है। यह ध्ंाधा 12 माह चलता है। 1 पॉट को बनाने में करीब 8 दिन लगते है। यदि कोई व्यक्ति यह कार्य सीखना चाहता है तो उसे स्वयं सीखाते भी है ताकि वह अपने घर जा कर स्वरोजगार हेतु इसे अपना सकें। सरकार टेराकोटा कला को बढ़ावा देने के लिये कम ब्याज दर पर ऋण भी उपलब्ध कराती है। इस मेले में वे 125 रूपयें से लेकर 1200 रूपयें तक के आइटम ले कर आये है।