माहेश्वरी भवन में सत्संग महोत्सव, आज मनाया जाएगा पाटोत्सव
उदयपुर। अन्तरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाधीश जगद्गुरु रामदयाल महाराज ने कहा कि नारी दुर्गा, अन्नपूर्णा, लक्ष्मी का रुप होती है, उसकी रक्षा करना माता-पिता और परिवार-समाज का दायित्व है। कन्या भ्रूण हत्या के लिए माता अधिक दोषी होती है। वह न चाहे तो उसकी कोख की जायी को कोई उससे अलग नहीं कर सकता।
आचार्य रामदयाल यहां श्रीनाथजी मन्दिर के पास माहेश्वरी भवन में अपने 22 वें पट्टाभिषेक (पाटोत्सव) के उपलक्ष्य में आयोजित पांच दिवसीय सत्संग के तहत मंगलवार को धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, हमारा राष्ट्र चरित्र प्रधान रहा है लेकिन आज यह चरित्रहीन हो रहा है। देश को बचाना है तो हमें भोग नहीं, भक्ति की राह पर चलना होगा। उन्होंने कहा कि अन्न त्यागने से कुछ नहीं होगा, हमें अन्याय का त्याग करना होगा। आचार्य ने कहा कि जगत में आना ही युद्ध का बिगुल बजाना है। यहां हर कदम पर हर चीज के लिए लड़ना पड़ता है। यहां तक कि भोजन कर लो तो उसे पचाने के लिए लड़ना पड़ता है। हमें चाहिए कि हम परमात्मा से नेह बांधें, भवसागर पार होने के लिए लड़ें। अध्यात्म पथ पर बढ़ें और लक्ष्य प्राप्ति तक रुकें नहीं, चलते रहें।
इससे पूर्व चित्तौड़गढ़ के सन्त दिग्विजयराम रामस्नेही, उदयपुर के सन्त चेतनराम रामस्नेही ने ’श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा’ तथा ’गोविन्द जय जय गोपाल जय जय’ के साथ संकीर्तन किया, जिस पर श्रद्धालु विभोर हो उठे। साथ ही ’हरि भजे तो ऐसा भज’, ’भजन बिन छूटे नहीं’, ’घंुघरु छन छनाछन बाजे रे मीरा नाचे रे’ आदि भजन सुनाए। इसमें मंुगाणा के सीताराम वैष्णव ने ऑर्गन पर संगत दी। रामजस सोमानी, रामपाल सोमानी, रामचन्द्र, रमेशचन्द्र सोमानी आदि ने आरती की। इस मौके पर चांदपोल स्थित श्रीबड़ा रामद्वारा के महन्त नरपतराम रामस्नेही, इन्दौर के सन्त रामस्वरुप, चित्तौड़गढ़ के सन्त रमताराम, गंगनार के सन्त रमैयाराम, जहाजपुर के सन्त ललितराम व ईश्वरराम, कोटा के सन्त रामआसरे भी उपस्थित थे।