माहेश्वरी भवन में सत्संग महोत्सव का समापन
उदयपुर। अन्तरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाधीश जगद्गुरु रामदयाल महाराज ने कहा कि समय ईश्वर के अधीन है लेकिन उसका सदुपयोग करना हम पर निर्भर है। जीवन को सफल बनाना है तो हम प्रभु की भक्ति करें, सत्पथ पर चलें। क्रोध-लोभ-मोह छोड़कर हम राम नाम की ज्योति जलाएं।
आचार्य रामदयाल यहां श्रीनाथजी मन्दिर के पास माहेश्वरी भवन में गुरुवार को धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे। अपने 22 वें पाटोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित सत्संग महोत्सव के आखिरी दिन उन्होंने कहा कि ईश्वर कण-कण में है। हम जहां-जैसे रहें, प्रभु को याद रखें। मन और जगत को जीतना बहुत कठिन है लेकिन परमात्मा से मिलना तभी सम्भव है, जब हम चराचर जगत से जीतें। चांदपोल स्थित श्रीबड़ा रामद्वारा के महन्त नरपतराम रामस्नेही ने कहा कि जीवन की सार्थकता के लिए पुण्य कमाना आवश्यक है। इससे पूर्व चित्तौड़गढ़ के सन्त दिग्विजयराम, उदयपुर के सन्त चेतनराम ने मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, उज्जैन से आईं कबीरपंथी साध्वी मायादेवी ने मन को मारना, यही मन चन्चल यही मन चोर, सबमें राम समाया है आदि भजन गाए, जिस पर श्रद्धालु झूम उठे। इस मौके पर इन्दौर के सन्त रामस्वरुप, कोटा के सन्त दीपकराम, सन्त रामकृपाल, चित्तौड़गढ़ के सन्त रमताराम, गंगनार के सन्त रमैयाराम, जहाजपुर के सन्त ललितराम व ईश्वरराम, कोटा के सन्त रामआसरे भी उपस्थित थे।
विमोचन : कार्यक्रम में आचार्य रामदयाल ने अक्षय पत्रिका का विमोचन किया। साथ ही भवन में शुद्ध पेयजल की सुविधा के लिए आरओ का उद्घाटन किया। रामजस सोमानी, रामपाल सोमानी, रामचन्द्र, रमेशचन्द्र सोमानी, माहेश्वरी समाज की कार्यकारिणी, विजयवर्गीय समाज के प्रतिनिधियों व श्रद्धालुओं ने आरती की। आचार्य ने सुरेशचन्द्र, यशवन्त विजयवर्गीय को उपरना भेंट कर सम्मानित किया। इसके बाद महाप्रसादी का आयोजन हुआ, जिसमें देश के विभिन्न स्थानों से आए सन्त-महन्त सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शरीक हुए।