अरावली टेक हॉस्पिटल को मिली सफलता
उदयपुर। गर्भावस्था में किसी भी प्रकार की समस्या होना महिला के कभी-कभी बहुत खतरनाक स्थिति बन सकती है ओर उस पर यदि उसे उस परिस्थिति में पीलिया एवं हेपेटाईटिस ई की बीमारी हो जाए तो यह बीमारी उसके लिए जानलेवा साबित हो सकती है क्योंकि यह बीमारी हर तीन में से एक गर्भस्थ महिला के लिए जानेलेवा साबित हो चुकी है लेकिन ऐसी ही एक 27 वर्षीय युवती शारदा अरोड़ा की अरावली ट्रोमा इमरजेन्सी एण्ड क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने हॉस्पिटल में जान बचाने में सफलता हासिल की।
हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. आनन्द गुप्ता ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान उक्त दोनों प्रकार की बीमारी हो जाने पर रोगी के शरीर में खून पतला होने लगता है,ऐसे में रोगी की जान जाने का खतरा बना रहता है लेकिन इस हॉस्पिटल में क्रिटिकल केयर के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अन्य अस्तपाल से लायी गयी उक्त महिला रोगी को समय पर उपचार प्रदान कर जान बचाने में सफलता हासिल की,साथ ही डिलीवरी के बाद बच्चें भडारी हॉस्पिटल में ले जाया गया, जहां उसे डॉ. हरित भण्डारी के निर्देशन में ईलाज कर उसकी भी जान बचानें में चिकित्सकों को सफलता मिली।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि चिकित्सकों ने उक्त महिला न केवल जान बचायी वरन् सुरक्षित डिलीवरी भी करायी। आज जच्चा व बच्चा दोनों सुरक्षित है। श्रीमती शारदा का ईलाज करने वाले अहमदाबाद के चिकित्सक डॉ.फारूख ने बताया कि ऐसी अवस्था में हर तीन में से एक महिला की म़ृत्यु हो जाती है। इसमें मृत्यु दर बहुत अधिक है इसलिए इस बीमारी में सावधानी बरतनी बहुत जरूरी होती है। उक्त महिला को एक अन्य स्थान पर लीवर प्रत्यारोपण करने तथा उसे लिए 30 से 35 लाख खर्चा होने की बात कह कर डरा दिया था, साथ ही महिला रोगी को अहमदाबाद जाने के लिए कह दिया लेकिन रोगी के परिजनों ने अरावली ट्रोमा इमरजेन्सी एण्ड क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल में ले आयें जहंा उसकी न केवल जान बचायी वरन् उसे लीवर ट्रंासप्लान्ट भी नहीं कराया गया जिसकी रोगी को आवश्यकता ही नहीं थी।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस हॉस्पिटल में गुजरात के ख्याति प्राप्त क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवायें उपलब्ध होने से मरीज को तत्काल उच्च स्तरीय सुविधा मिल जाती है जिससे उसका जीवन संकट में पडऩे से बच जाता है।