कार्यक्रम सलाहकार समिति की बैठक
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय डबोक के अन्तर्गत संचालित सीटीई कार्यक्रम सलाहकार समिति की द्वितीय बैठक विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन प्रतापनगर में वाइस चांसलर प्रो. एसएस सारंगदेवोत की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में सत्र 2015-16 का प्रतिवेदन एवं सत्र 2016-17 में प्रस्तावित कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत किया गया। बैठक में एसआईईआरटी की निदेशक विनिता बोहरा, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के बनवारी लाल वर्मा, प्रो. केसी मालू, प्राचार्य डॉ. शशि चितौड़ा, डॉ. सरोज गर्ग, डॉ. देवेन्द्रा आमेटा, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. प्रेमलता गांधी ने विचार व्यक्त कर सुझाव दिए। संचालन डॉ. बीएल श्रीमाली ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. सरोज गर्ग ने दिया। विभिन्न जिलों से आए जिला शिक्षा अधिकारी आईएएसई, सीटीई एवं डाईट संस्थानों के प्राचार्य, संकाय सदस्य उपस्थित थे। डॉ. शशि चितौड़ा ने बताया कि बाल अधिकार एवं किशोर अवस्था शिक्षा, शांति के लिए शिक्षा, पर्यावरण शिक्षा, पुस्तकालय विज्ञान शिक्षा, केरियर एवं क्रियात्मक अनुसंधान शिक्षा, कम्प्यूटर एवं श्रृव्य दृश्य शिक्षा, मूल्य शिक्षा, स्वास्य््रि एवं योग शिक्षा सहित विभिन्न विषयों पर पूरे वर्ष कार्यशालाएं आयोजित की जायेगी। इनमें डूंगरपुर, बांसवाडा, चितौड़गढ़ एवं राजसमंद, सिरोही, भीलवाड़ा जिलों के शिक्षक भाग लेंगे।
शोध परियोजनाएं : प्राचार्य डॉ. शशि चितौडा ने बताया कि पूरे वर्ष राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के व्याख्यान भी आयोजित किए जायेंगे। व 22 प्राध्यापकों ने शिक्षा के विभिन्न आयामों पर अपने नये रिसर्च प्रोजेक्ट लिए है। स्किल डवलपमेन्ट, रिसर्च एवं क्वालिटी एज्यूकेशन को प्राथमिकता : उच्च शिक्षा के शिक्षकों से कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने आव्हान किया कि प्रोफेसर 50 फीसदी टीचिंग पर तो 50 फीसदी रिसर्च पर ध्यान दें। ज्यादा से ज्यादा क्वालिटी एज्यूकेशन व शोध वर्क को महत्व दें तथा विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि भावी योजनाओं में कौशल आधारित पाठ्यक्रम पर अधिक से अधिक जोर दिया तथा उच्च शिक्षा से जुड़े प्रबंध पत्रों को अधिक से अधिक जोड़ा जाना चाहिए।
ये आये सुझाव : प्राचार्य डॉ. शशि चितौड़ा एवं सीटीई प्रभारी डॉ. बीएल श्रीमाली ने बताया कि समिति की बैठक में मुख्य रूप से ये सुझाव आये जिसमें इन सर्विस टीचिंग स्टाफ के लिए समर वेकेशन में 21 दिन का विशेष प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाए। विद्यापीठ के डबोक स्थित एलएमटीटी में इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स पर सत्र आरंभ होने से कार्य शुरू हो जाना चाहिए। मोबाइल यूनिट के माध्यम से टीचर्स के टेªनिंग की व्यवस्था की जाय। सीनियर सैकण्डरी टीचर्स के लिए अलग से प्री सर्विस कोर्स का संचालन हो।