सेमल संरक्षण का संदेश
उदयपुर। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होलिका पर्व मंगलवार को धूमधाम से मनाया गया। बाजारों में भीड़ रही वहीं शाम ढलने के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया गया।
सबसे पहले सिटी पैलेस में शाम 6.30 बजे होलिका दहन हुआ। इससे पूर्व कर्मांत्री पुरोहित ने मेवाड़ राजघराने से जुडे़ अरविंदसिंह मेवाड़ व सपरिवार को पूजा करवाई। पूजा के बाद होली के चारों ओर चक्कर लगाकर अग्नि दिखाई गई। इस अवसर पर विदेशी पर्यटकों का भी जमावड़ा था। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में शाम ढले 8 बजे बाद होलिका दहन किया गया। बच्चों ने होलिका में पटाखे रखे वहीं नवजात को उनके मामा ने गोद में लेकर होलिका के चक्क र लगाकर उसे जीवन भर बुराई से बचाने की परम्परा का निर्वहन किया। इससे पूर्व महिलाओं ने लहरिये, पीलिये व फागणिये में सज धजकर होलिका की पूजा की। दिन में बाजारों में खासी भीड़ रही। खास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों से लोग खरीदारी करने उदयपुर पहुंचे। रंग व गुलाल के काउंटर पर भी लोगों का जमावड़ा रहा।
शाम को जगदीश चौक में सांस्कृातिक संध्या का आयोजन किया गया जिसमें नृत्य व गीतों पर लोग झूम उठे। विदेशी पर्यटकों ने भी त्योहार की जानकारी लेकर खूब आनंद लिया।
सेमल संरक्षण का संदेश : सोसायटी फॉर माइक्रोवायटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन, उदयपुर (स्मरिम ) के सेमल सरंक्षण अभियान के तहत विभिन्न स्थानों पर औषधीय वृक्ष सेमल के स्थान पर लौह स्तम्भ पर चारा और घास बाँध कर सामूहिक इको-फ्रेंडली होलिका दहन किया गया।
सोसायटी सचिव डॉ. वर्तिका जैन ने बताया कि उदयपुर शहर में पत्रकार कॉलोनी, चित्रकूट नगर, जय लक्ष्मी अपार्टमेंट, नई भूपालपुरा, पंचवटी, रामसिंह जी की बाड़ी, सेक्टर 11 और भींडर तथा कानोड़ भी में इस अभिनव प्रयोग को कार्यान्वित किया गया. इस प्रयोग को सफल बनाने में इंद्र सिंह राठौर, रघुदत्त माथुर, जीएल वर्मा, ऐके गौर, डॉ. रूपा शर्मा, जीएल फौजी, मोड़सिंह, ओमप्रकाश, जगदीश का पूर्ण सहयोग रहा। सभी स्थानों पर पर्यावरण को सुरक्षित करने की इस पहल का स्वागत कर संकल्प किया गया कि अगले वर्ष सभी इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए और अधिक जन समूह को इसमें सम्मिलित करेंगे। सोसायटी अध्यक्ष डॉ एसके वर्मा ने कहा कि सोसायटी 2011 से लोह स्तम्भ पर होलिका दहन कर सेमल जैसे महत्त्वपूर्ण औषधीय वृक्ष को बचाने के लिए प्रयासरत हैं। साथ ही उदयपुर शहर के आसपास विभिन्न स्थानों पर सेमल के लगभग 500 पौधे रोप कर सेमल सरंक्षण अभियान को सफल बना रही है।