महावीर एकेडमी में आवासीय शिविर का तीसरे दिन छात्र-छात्राओं का अनुभव
उदयपुर। सुबह स्वास्थ्य व आध्यात्मिक सत्र में योग, प्राणायाम और प्रेक्षाध्यान के प्रयोग तो दोपहर के सत्रों मंे कैरियर और मोटीवेशनल स्पीकर्स से मार्गदर्शन और शाम को खेल गतिविधियों में हिस्सा। कुछ इसी तरह की दिनचर्या बन गई है डेढ़ से अधिक उन छात्र-छात्राओं की जो राज्य एवं जिला स्तरीय मेरिट सूची में स्थान प्राप्त किया है और इन दिनों राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से इनके व्यक्तित्व विकास के लिए गायरियावास स्थित महावीर एकेडमी में आयोजित छह दिवसीय अभिव्यक्ति उन्नयन आवासीय शिविर में हिस्सा ले रहे हैं।
यहां सभी छात्र-छात्राओं को मिलाकर कुल पांच अलग अलग गु्रप बनाए गए हैं। विवेकानंद ग्रुप के यश कलाल एवं कीर्ति राठौड़ ने बताया कि अगर वे यह शिविर अटैंड नहीं करते तो जीवन भर अफसोस रहता। तीन दिनों में ही इतना कुछ सीखने को मिल गया है कि अपना लक्ष्य तय कर बस उसे हासिल करना है वहीं एपीजे अब्दुल कलाम ग्रुप के चयन रावल एवं अल्पा पंचाल ने बताया कि जहां घर में सुबह 8 बजे तक नहीं उठ पाते थे वहीं यहां आकर सुबह 6 बजे उठकर नहाने और काम करने की आदत सी हो गई है। सरस्वती ग्रुप के हर्ष गुप्ता एवं साक्षी न्याती, टैगोर ग्रुप के रमेश कुमावत एवं इशिता व्यास तथा महावीर ग्रुप के भारत प्रकाश शर्मा एवं मोनिका शक्तावत ने भी कुछ इसी तरह की बात कही।
शुक्रवार सुबह मोटीवेशनल गुरु यशदेवसिंह ने कहा कि जीतने वाले कोई अलग काम नहीं करते बल्कि अलग ढंग से वही काम करते हैं इसीलिए वे सफल होते हैं। पहले दिन से वे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए काम करते हैं। कामयाबी और नाकामयाबी के बीच बहुत मामूली अंतर होता है। दुनिया में सब कुछ है लेकिन आपको वही मिलता है जो आप लेना चाहते हैं। फॉलोअर तो बहुत हैं लेकिन लीडर एक ही होता है। अपना रिमोट कंट्रोल दूसरे के हाथों में कभी न दें। रीजन के साथ विजन भी रखें। सिर्फ विजन रखेंगे तो काम नहीं चलेगा।
उन्होंने कहा कि 95 प्रतिशत क्यों के सवाल में ही उलझकर रह जाते हैं इसलिए वे बाकी के 5 प्रतिशत क्या, कब और कैसे तक पहुंच ही नहीं पाते। सपने मुसीबत साथ लाते हैं लेकिन अपने उपर विश्वास रखें। जिंदगी मौके कम और धोखे ज्यादा देती है। तय करें, फोकस करें और उस पर काम करें। जैसे दोस्त हम चाहते हैं वैसे नहीं मिलते बल्कि मिलते वैसे हैं जैसे हम होते हैं। सफलता के शिखर पर भीड़ नहीं होती। उन्होंने रतन टाटा, सचिन तेंदुलकर, उसैन बोल्ट, फैल्प्स, महेन्द्रसिंह धोनी आदि के उदाहरण देते हुए कहा कि कामयाबी पर इतराओ मत। अपने आपको प्रोत्साहित रखो। हर परिस्थिति से निपटने के लिए खुद को तैयार रखो। जिम्मेदारी लेना सीखो। दूसरों पर कभी उंगली मत उठाओ।
दूसरे सत्र में नेतृत्व कला एवं समय प्रबंधन पर प्रो. पूजा देवीजा ने अलग अलग एक्टीविटीज के माध्यम से कहा कि नेतृत्व कला स्वयं में आत्म विश्वास से ही आएगी। यह आपमें कोई डाल नहीं सकता। आपको स्वयं को खुद पर विश्वास करना होगा। इसके लिए अत्यावश्यक है समय की पहचान। समय का महत्व समझेंगे तो ही लीडरशिप तक पहुंच पाएंगे।
दोपहर बाद हुए तीसरे सत्र में प्रवीणा जैन ने क्रिएटिव एक्टिविटी के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हर समय कुछ न कुछ नया करने की प्रेरणा होनी चाहिए। क्रिएटिविटी वही होती है जो आप द्वारा खुद बनाई गई होती है। चौथे सत्र में शाम को चुन्नीलाल चंदेरिया ने खेल गतिविधियों के तहत शरीर को स्वस्थ एवं तंदुरस्त रखने के टिप्स देते हुए सभी ग्रुपों में खो खो स्पर्धा करवाई।
शिविर संयोजक राजकुमार फत्तावत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि सुबह 7 से 8 बजे तक संगीता पोरवाल ने आध्यात्मिक सत्र के तहत प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाए वहीं शाम को 8 बजे काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें राव अजातशत्रु ने अपनी हास्य रचनाओं से जहां बच्चों को हंसने पर मजबूर कर दिया वहीं श्रृंगार रस की कविताएं भी सुनाई।