उदयपुर। दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. अरूण गुप्ता एवं डॉ. गुंजन गुप्ता का कहना है कि सवेरे से अधिक महत्वपूर्ण है रात्रि को ब्रश करना क्योंकि रात्रि को बिना ब्रश किये सोने से मुंह में हजारों बैक्टीहरिया दांतों में लगा खाना या कोई भी रसीला पदार्थ रह जाने पर दांतों को खराब कर देता है।
वे आज वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति उमंग द्वारा योग सेवा समिति परिसर में आयोजित वार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि रात्रि को दूध पीने के बाद ब्रश करना बहुत जरूरी है। ब्रश करने में सोफ्ट ब्रशल वाला ब्रश काम में लेना चाहिये ताकि मंसूड़े खराब न हों। कड़े दातुन का उपयोग करने से बचना चाहिये। प्रति छह माह में अपना ब्रश बदलना चाहिये और प्रत्येक 4 माह में दंत चित्सिक के पास अपने दांतों की जांच करानी चाहिये ताकि यदि दांतों में कोई कीड़ा लग जाए तो उसका तुरन्त उपचार किया जा सकें।
डॉ. गुंजन गुप्ता ने बताया कि दंत चिकित्सा में बहुत एडवान्स तकनीक काम ली जाने लगी है। दांतों के गिर जाने पर उसके स्थान पर अब पिछले 3-4 वर्षो में फिक्स दांत लगाने की विधि विकसित हो गयी है।
दांतों का सडऩा : दांतों की सड़न जब पल्प तक पहुंच जाती है, तब आरसीटी करानी पड़ती है। खाना खाने के बाद दांतों के बीच में खाना फंसा रह जाने पर उसकी सडऩ जब दांतों की जड़ों तक पंहचती है तो रूट केनाल थैरेपी कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता है। मंसूड़ों से खून निकलना : दांतों पर गंदगी जमा होने पर दांतों पर पीली परत जम जाती है जो मुंह से बदबू मारती है। जमी गंदगी से मंसूड़ो में सूजन आ जाती है और धीरे-धीरे खून आने लगता है। मंसूड़े जब अपनी जगह छोड़ देते है तो दांतों में ठंडा-गर्म लगने लग जाता है। कभी-कभी पुरानी फिलिंग होने पर भी दांतों में ठंडा-गर्म लगता है। उन्होंने बताया कि 18 से 25 वर्ष की उम्र के बीच टेढ़े-मेढ़े दांतों को ठीक रकाया जा कसता है उसके बाद उन्हें ठीक कराने में काफी परेशानी आती है।