उदयपुर। कृषि शिक्षा शोध एवं विकास में वर्तमान परिपेक्ष्य में चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आरसीए सभागार में किया गया। यह राष्ट्रीय संगोष्ठी एमपीयूएटी एवं कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा की गई।
मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कृषि विश्वविद्यालय अध्यापक परिषद की इस पहल पर बधाई देते हुए कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं विकास के विषय को आज के परिप्रेक्ष्य में अहम बताया। उन्होंने कहा कि देश के खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने में कृषि वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रो. दशोरा ने कृषि की चुनौतियों का समाधान ढूंढने में किसानों के पारम्परिक कृषि ज्ञान का लाभ लेने की सलाह दी।
विशिष्ट अतिथि कुलपति कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर डॉ. बलराज सिंह ने कहा कि आज राजस्थान में कृषि शिक्षा का निरन्तर विकास हो रहा है। राज्य मे पांच कृषि विश्वविद्यालयों के अलावा अनेक निजी संस्थाऐं भी कृषि शिक्षा में सत्त प्रयासरत है। उन्होंने कृषि अनुसन्धान के दोहराव को रोककर नवीन अनुसन्धान करने पर बल दिया, जो कि लक्ष्य आधारित होने चाहिये।
अध्यक्षता कर रहे एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा ने देश की बढ़ती जनसंख्या एवं जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष्य में चुनौतियों को देखते हुए युक्ति संगत उपाय अपनाने की सलाह दी। उन्होने खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण, सुरक्षा पर भी बल दिया।
अध्यापक परिषद् के अध्यक्ष डॉ. ओपी पाटोदिया ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया एवं संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। अतिथियों ने इस वर्ष सेवानिवृत्त होने जा रहे क्रमशः डॉ. वाईसी भट्ट, डॉ. रवि माथुर, डॉ. अनिला दोशी, डॉ. एसपी शर्मा, डॉ. जीएस आमेटा, डॉ. पीसी बापना, डॉ. आरती सांखला, डॉ. बीआर रणवा एवं डॉ. ओपी पाटोदिया का अभिनन्दन किया गया। अतिथियों ने कृषकों द्वारा मुर्गीपालन विषय पर फोल्डर का विमोचन किया तथा कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारी एवं शिक्षक उपस्थित थे। संचालन डॉ. दीपक शर्मा एवं डॉ. गायत्री तिवारी ने किया एवं धन्यवाद प्रस्ताव कार्यक्रम समन्वयक एवं सचिव शिक्षक संघ डॉ. सुरेन्द्र कोठारी ने किया । डॉं0 कोठारी ने बताया कि संगोष्ठी में 186 कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया।
अपरान्ह दो तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया, जिसमें एमपीयूएटी प्रबन्धन मण्डल के सदस्य व पूर्व कुलपति प्रो. वीबी सिंह ने शिक्षा मे प्रासंगिक विभिन्न महापुरूषों के विचारों को उदधृत करते हुऐ अपना व्याख्यान दिया। डीन आरसीए डॉ. अनिला दोशी ने भारतीय इतिहास के परिपेक्ष मे आज की कृषि चुनौतियों पर प्रकाश डाला। सत्र की अध्य़क्षता कर रहे प्रो. पीके दशोरा ने निजीकरण व स्वायत्तता के चलते कृषि शिक्षा मे गुणवत्ता निर्धारण की बात कही। तकनीकी सत्रों को डीन सीटीएई डॉं0 बी.पी. नन्दवाना, डीन होम साइंस डॉ. आरती सांखला, डीन सीडीएफएसटी डॉं. एलके मुर्डिया, अनुसंधान निदेशक डॉ. जीएस आमेटा ने भी सम्बोधित किया।