उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम् अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण के विद्वान शिष्य मुनि धर्मेश कुमार ने सहवर्ती संतों मुनि विनोद कुमार, मुनि यशवंत कुमार के साथ भुवाणा स्थित महाप्रज्ञ विहार में रविवार दोपहर चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश किया।
मुनि धर्मेशकुमार ने मंगल उदबोधन में कहा कि आज का दिन बोधि दिवस के रूप में मनाया जाता है। तेरापंथ के प्रथम आचार्य भिक्षु ने कहा कि धर्म दो तरह के लौकिक और लोकोत्तर धर्म हैं। उदयपुर चातुर्मास में स्वास्थ्य लाभ और ध्यान साधना क्रम को यथावत रखना ही मूल उद्देश्य है। बारह वर्षीय साधना के क्रम को पूर्ण करना अभी मुख्य लक्ष्य है। मुनि विनोद कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य की प्रतिकूलता की वजह से उदयपुर चातुर्मास करना है। उदयपुर का समाज सजग, जागरूक है। मुनि यशवंत कुमार ने कहा कि सभी श्रावक-श्राविकाओं को चातुर्मास में जप, ध्यान, तप में लग जाना चाहिए।
तेरापंथी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष किशनलाल डागलिया, महासभा के कोषाध्यक्ष रमेश सुतरिया, तेरापंथ सभा उदयपुर के मुख्य संरक्षक शांतिलाल सिंघवी, तेयुप अध्यक्ष राकेश नाहर ने शब्दों से संतों का चातुर्मास प्रवेश पर स्वागत किया।
तेरापंथ सभा उदयपुर अध्यक्ष श्री राजकुमार फत्तावत ने स्वागत करते हुए कहा कि मुनि श्री का जिस प्रयोजन से उदयपुर में चातुर्मास हुआ है वह प्रयोजन पूर्ण हो। आप स्वस्थ होकर उदयपुर से प्रस्थान करें। मुनि श्री ने 2006 का चातुर्मास उदयपुर में कराया था। वह चातुर्मास बहुत ही सफल रहा था। कार्यक्रम का आरम्भ मुनि श्री के नमस्कार महामन्त्र से हुआ। मंगलाचरण मिनी सिंघवी और समूह द्वारा तथा स्वागत गीत कमल नाहटा ने प्रस्तुत किया।