जैव ईंधन पर राष्ट्रीय कार्यशाला
उदयपुर। पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री सुरेन्द्र गोयल ने राजस्थान में जैव ईंधन के उत्पादन की पर्याप्त संभावनाओं को मूर्त रूप दिए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को बॉयोडीजल पॉलिसी में राज्यों की बेहतरी के लिए जनहित को ध्यान में रखकर इसे प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत है।
गोयल राजस्थान सरकार तथा केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय नई दिल्ली के साझे में गुरुवार को उदयपुर में आयोजित स्केलिंग अप एंड मैन स्ट्रीमिंग ऑफ बॉयोफ्यूल इन इंडिया विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला के मौके पर बतौर अतिथि संबोधित कर रहे थे।
गोयल ने कहा कि राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों में अनुपयोगी पड़ी भूमि पर बॉयोफ्यूल के लिए कृषि की व्यापक संभावनाएं है। इसके लिए बेहतरीन तकनीक, प्रशिक्षण एवं आर्थिक संसाधनों की उपलब्धता के लिए केन्द्र सरकार को सकारात्मक रूप से विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में 41 हजार हेक्टेयर अनुपयोगी भूमि में से 8 हजार हैक्टेयर पर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से बायोफ्यूल उत्पादन के लिए प्रयुक्त किया जा रहा है, वहीं 4400 हैक्टेयर भूमि पर पंचायतें आय बढ़ाने की दिशा में उपयोग कर रही है।
राज्य में खुले इंस्टीट्यूट : मंत्री गोयल ने कहा कि राजस्थान जैसे कम वर्षा वाले प्रदेश में रतनजोत उत्पादन बेहतर बायोफ्यूल का आधार बन सकता है। इसके लिए राजस्थान में विशेष इंस्टीट्यूट स्थापित करने के लिए जमीन देने को तैयार है, शेष तकनीकी एवं वित्तीय संसाधन केन्द्र सरकार को देने पर विचार करना चाहिए। राज्य को बायोफ्यूल उत्पादन के क्षेत्र में आदर्श राज्य बनाने के लिए अग्रणी राज्यों कर्नाटक एवं छत्तीसगढ़ के भी अनुभव साझा किए जाएंगे।
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर : बायोफ्यूल सेल के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री अन्ना साहिब पाटील ने कहा है कि बायोफ्यूल के उत्पादन से जहां डीजल पेट्रोल के विकल्प सृजित होंगे वहीं देश में बढ़ी बेरोजगारी को कम करने में भी इसकी कारगर भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण आज की सबसे बड़ी समस्या है उसे भी रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि देश में उपयोग में लिया जाने वाला 80 फीसदी पेट्रोल-डीजल विदेश से आयात होता है।
बना रहे बायोफ्यूल पॉलिसी : केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की संयुक्त सचिव वर्षा जोशी ने कहा कि अग्रणी राज्यों एवं दक्ष तकनीकी विशेषज्ञों एवं तकनीशियनों के अनुभव साझा करते हुए देश के लिए बायोफ्यूल पॉलिसी का नोट तैयार कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बायोफ्यूल के लिए देश के चार राज्यों में स्थापित बोर्ड अच्छा कार्य कर रहे हैं। गुणवत्तायुक्त बायोफ्यूल के लिए राज्यों में गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला प्लांट एवं जिला स्तर विस्तार केन्द्र खोलने की भी केन्द्र की योजना है। इसमें केन्द्र 40 फीसदी सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा के साथ बायोफ्यूल कार्यक्रमों को भी क्रियान्वित करने की जरूरत बताई।
समारोह को केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के बायोफ्यूल कार्यकारी समूह के अध्यक्ष रामकृष्ण वाई बी ने बायोफ्यूल के लिए व्यावसायिक कृषि एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में जागरूकता की जरूरत बताई। उन्होंने राजस्थान को बायोफ्यूल के लिए बेहतरीन प्लेटफार्म बताया।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के प्रमुख शासन सचिव सुदर्शन सेठी ने केवल पेट्रोल डीजल पर निर्भरता को चुनौती बताते हुए सामूहित चिंतन की आवश्यकता प्रतिपादित की। आभार बायोफ्यूल प्राधिकरण के सीईओ एस.एस.राठौड़ ने जताया। समारोह में राजसमंद कलक्टर अर्चना सिंह सहित विविध राज्यों से आए संभागी एवं स्थानीय अधिकारी मौजूद थे।
पुस्तकों का विमोचन : कार्यक्रम में अतिथियों के हाथों तिलहन उत्पादन एवं करंज पौधरोपण हेतु तकनीक आदि पुस्तकों का विमोचन एवं लेखक डॉ.पी.सी.चपलोत का सम्मान भी किया गया।