माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एक्ट 2007 विषयक सेमीनार
उदयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एनएन माथुर ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक हमारे माता पिता के समान तो है ही, साथ ही वे गुरु के समान भी हैं क्योंकि शिक्षा दीक्षा संस्कार आशीर्वाद से ही हम नए समाज का निर्माण करते हैं।
बुजुर्ग समाज व राष्ट्र की धरोहर है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को वरिष्ठ नागरिक का सम्मान करना चाहिए। वरिष्ठ नागरिक एवं भरण पोषण अधिनियम को धरातल स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए। अवसर था जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 के 10 वर्षीय कार्यक्रमों की समीक्षा विषय पर राष्ट्रीय सेमीनार का। मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष केजी बालकृष्णन ने कहा कि हमारे देश में जहां बुजुर्गों को मान-सम्मान दिया जाता है। माता-पिता को ईश्वकर के बराबर माना जाता है वहीं दूसरी कुछ माता पिता एवं बुजुर्ग ऐसे भी हैं जिन्हें अपने बच्चों एवं समाज का तिरस्कार सहना पड़ता है। उम्र के इस पड़ाव में जहां उन्हें अपने बच्चों की आवश्यकता होती है वहीं वे रहने व खाने को भी मोहताज होते हैं।
अध्यक्षता कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने की। विशिष्ठ अतिथि पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अमरजीत सिंह खेडा थे। संचालन डॉ. हिना खान ने किया।