सच है कि यौवन की दहलीज़ पर कदम रखने से लेकर परिपक्व होने तक हर युवा कहीं ना कहीं भटकता जरूर है लेकिन दूसरों को देखकर भी ना संभले तो उसे क्या कहें. आखिर कब समझेंगे युवा. मजाक में ही सही लेकिन जिसने भी कहा बहुत सच कहा कि जब तक मूर्ख हैं, समझदार कभी भूखे नहीं मरेंगे.
एक बार फिर यह साबित हो गया.
पहले दिल्ली और मुंबई में समाचार -पत्रों में विज्ञापन आते थे कि हाई प्रोफाइल महिलाओं से दोस्ती करें. लोगों ने विज्ञापन में दिए फोन नंबर पर काल किया तो उन्हें बैंक के अकाउंट में पैसे जमा कराने को कहा जाता था और जैसे ही पैसे जमा हुए, फिर वो फोन बंद. उठता ही नहीं या फिर उठकर चक्कर बाजी शुरू. थक-हार कर पीड़ित व्यक्ति बदनामी के डर से पुलिस में जाता ही नही और अपने पैसे गँवाकर बैठ जाता है. जब इनके जरिये ठगी की वारदातों में काफी वृद्धि हो गई और पुलिस को कारवाई करनी पड़ी तो ये फ्रेंडशिप क्लब बंद हो गए. अब इनका स्थान मसाज पार्लर ने ले लिया है.
समाचार-पत्रों में आने वाले लुभावने वर्गीकृत विज्ञापनों की जिनमे लड़कियों से फ्रेंडशिप, हाई प्रोफाइल महिलाओं की मसाज के नाम पर पैसे कमाने का लालच दिए जाते हैं. कोई-कोई बीमारियाँ ऐसी होती है जिनके कोई इलाज नहीं होता. डॉ. भी कहते हैं कि इलाज से बेहतर बचाव ही उपाय है. कई बार ऐसे मामले सामने आने के बावजूद युवा समझना ही नहीं चाहते. हर कोई लड़कियों से दोस्ती करना चाहता है. कैसे भी हो. अगर वो पैसे देकर हो सकती है तो वो भी. कहाँ जा रहा है हमारे देश का युवा?